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Bihar Panchayat Chunav 2021: प्रोफेसर-शिक्षक रहते हुए बिहार में नहीं लड़ सकेंगे पंचायत चुनाव, इन पर भी रहेगी पाबंदी

बिहार में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव (Bihar Panchayat Chunav) की घोषणा हो चुकी है. 6 पदों के लिए होने वाले चुनाव को लेकर तैयारियां भी शुरू हो गई हैं. उम्मीदवार अपनी-अपनी तैयारी में जुट गए हैं.

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Bihar Panchayat Chunav 2021
Bihar Panchayat Chunav 2021
स्टोरी हाइलाइट्स
  • दो सितंबर से बिहार पंचायत चुनाव के लिए पर्चा भरा जाएगा
  • शैक्षणिक संस्थाओं में काम करने वाले नहीं लड़ सकेंगे चुनाव

बिहार में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव (Bihar Panchayat Chunav) की घोषणा हो चुकी है. 6 पदों के लिए होने वाले चुनाव को लेकर तैयारियां भी शुरू हो गई हैं. उम्मीदवार अपनी-अपनी तैयारी में जुट गए हैं. 24 सितंबर से शुरू होने वाले 11 चरणों के चुनाव के लिए 2 सितंबर से पर्चा भरने का काम शुरू होगा. लेकिन उन मुखिया और उपमुखिया के लिए अच्छी खबर नहीं है. जिन पर पदों का दुरुपयोग करने का आरोप लगा है. राज्य निर्वाचन आयोग ने बड़ा फैसला करते हुए निर्देश दिया है कि जो मुखिया और उपमुखियों कदाचार के आरोप में पद से हटाए गए हैं, वे अब 5 साल तक चुनाव नहीं लड़ सकेंगे. ऐसे लोग अगर नामांकन करते भी हैं, तो उनका नामांकन रद्द कर दिया जाएगा. वहीं, शैक्षणिक या गैर शैक्षणिक संस्थाओं में काम करने वाले लोग भी चुनाव नहीं लड़ सकेंगे.

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राज्‍य निर्वाचन आयोग ने एक अधिसूचना जारी करते हुए कहा कि बिहार पंचायत राज अधिनियम 2006 के तहत जिन मुखिया और उप मुखिया पर पदों के दुरुपयोग का आरोप लगा है, प्रमंडलीय आयुक्त अथवा राज्य सरकार द्वारा पद से हटाए गए हों तथा सक्षम प्राधिकार अथवा न्यायालय द्वारा इसे स्थगित या रद्द नहीं किया गया हो, वे पद से हटाए जाने की तिथि से 5 साल तक पंचायत चुनाव में उम्मीदवार नहीं हो सकेंगे.

बिहार पंचायतराज संशोधित अधिनियम 2007 में कहा गया है कि निहित शक्तियों के दुरुपयोग या अपने दायित्वों के निर्वहन में दुराचार का दोषी पाए जाने के आरोप में इस प्रकार प्रकार हटाए गए मुखिया या उपमुखिया पंचायत निकायों के किसी भी निर्वाचन में अगले पांच वर्षों तक उम्मीदवार होने का पात्र नहीं होंगे. यह कानून केवल मुखिया या उपमुखिया पर ही लागू नहीं होगा, बल्कि सरपंच उपसरपंच या ग्राम कचहरी के पंच, प्रमुख या फिर उपप्रमुख, जिलापरिषद के अध्यक्ष या फिर उपाध्यक्ष पर भी लागू होगा.

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केंद्र या राज्य सरकार या किसी स्थानीय प्राधिकार से पूर्णत या आंशिक वित्तीय सहायता प्राप्त करने वाले शैक्षणिक या गैर शैक्षणिक संस्थाओं में काम करने वाले लोग भी चुनाव नहीं लड़ सकते हैं. इसमें शिक्षक, प्रोफेसर, कर्मचारी, रसोइया, मानदेय पर कार्य करने वाले कर्मी शामिल हैं. होमगार्ड, सरकारी वकील, आंगनबाडी सेविका, विकास मित्र, न्याय मित्र, टोला सेवक भी चुनाव में पर्चा नहीं भर सकते हैं. लेकिन तय तिथि से पहले त्याग पत्र स्वीकृत होने पर ये चुनाव लड़ सकते हैं. बिहार पंचायत राज अधिनियम 2006 की धारा 134 के तहत निर्वाचन लेखा प्रस्तुत नहीं करने वाले भी तीन वर्षों तक चुनाव लड़ने से वंचित रहेंगे.

 

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