बिहार में शांतिपूर्ण चुनाव कराना हमेशा से ही चुनाव आयोग और प्रशासन के लिए चुनौती रहा है. ऐसे में अगले लोकसभा चुनाव को भी इस चुनौती से अलग नहीं माना जा रहा है. बिहार में 6 चरणों में होने वाले लोकसभा चुनाव में सबसे बड़ी चुनौती नक्सली हिंसा पर लगाम लगाने को माना जा रहा है.
हालांकि पुलिस और चुनाव आयोग, दोनों ही इस चुनौती से निपटने की तैयारी में जुट गए हैं. आम तौर पर माना जाता है कि बिहार के करीब सभी जिलों में किसी न किसी तरह से नक्सलियों के प्रभाव हैं. लेकिन राज्य के 38 जिलों में से 31 जिलों में नक्सलियों के प्रभाव की पुष्टि खुफिया एजेंसियां भी करती हैं.
ऐसा नहीं कि नक्सलियों को लेकर पुलिस प्रशासन ही सचेत है, राज्य के कई नेता भी नक्सलियों की हिट लिस्ट में है. ऐसे में राजनीतिक दलों को जहां विपक्षियों की चुनौती का सामना करना पड़ेगा, वहीं नक्सलियों से भी इन्हें जूझना होगा.
चुनाव बहिष्कार के नारे को सफल करने के लिए नक्सली संगठन किसी न किसी रूप से चुनाव को बाधित करते रहे हैं, ऐसे में नक्सली संगठनों की सक्रियता भी चुनाव के दौरान बढ़ जाती है. गृह मंत्रालय ने भी बिहार के 20 जिलों को नक्सल प्रभावित जिलों की 'ए' श्रेणी में रखा है.
बिहार में पहले चरण के मतदान के दौरान जिन छह सर्वाधिक नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में मतदान होना है, उनमें गया, काराकाट, सासाराम, औरंगाबाद, नवादा और जमुई लोकसभा क्षेत्र शामिल हैं.
बिहार की मात्र 40 लेकसभा सीटों के लिए छह चरणों में मतदान कराए जाने के चुनाव आयोग के निर्णय को सुरक्षा की दृष्टि से देखा जा रहा है. माना जाता है कि आयोग सभी इलाकों में सुरक्षा एजेंसियों की व्यापक तैनाती चाहता है.
बिहार में प्रतिबंधित नक्सली संगठन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के अलावा भी कई नक्सली संगठन के हथियारबंद दस्ते गठित हैं, जो चुनाव बहिष्कार की घोषणा करते रहे हैं. इसमें माओवादी पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (पीएलजीए), तृतीय प्रस्तुति कमेटी (टीपीसी), सीपीआई (एमएल-जनशक्ति) जैसे नक्सली संगठन भी हैं. वैसे टीपीसी का वर्चस्व झारखंड के सीमा क्षेत्रों में माना जाता है.
आंकड़ों पर गौर करें तो वर्ष 2013 में बिहार में हुई नक्सली घटनाओं में 69 लोग मारे गए थे.
पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान नक्सलियों ने बिना उनकी अनुमति के प्रचार वाहनों को भी सुदूर क्षेत्रों में जाने से रोक दिया था. औरंगाबद जिले में कई ऐसे वाहनों को रोक लिया गया था और उस पर बैठे राजनीति कार्यकर्ताओं की पिटाई भी की गई थी.
वहीं, राज्य के पुलिस मुख्यालय के एक अधिकारी ने कहा कि प्रत्येक चुनाव में नक्सली चुनाव वहिष्कार की घोषणा करते हैं. पुलिस इससे निपटने की तैयारी कर रही है. मतदान केंद्रों पर भी सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए जाएंगे. उन्होंने कहा कि राज्य में निष्पक्ष और शांतिपूर्वक चुनाव संपन्न कराना चुनौती है, जो उनकी प्राथमिकता भी है.
नक्सल प्रभावित लोकसभा क्षेत्रों में चुनाव को लेकर अर्धसैनिक बलों के साथ-साथ कोबरा बटालियन के कमांडो की तैनाती भी की जाएगी, जिन्हें नक्सली इलाकों में अभियान चलाने में महारत हासिल है. सूत्रों के अनुसार, नक्सल प्रभावित इलाकों में मतदान के दौरान सीमा सुरक्षा बल के हेलीकॉप्टर भी तैनात किए जाएंगे.
राज्य के पुलिस महानिदेशक अभयानंद ने भी कहा कि राज्य में सुरक्षाबलों की कोई कमी नहीं है.