बिहार के घोड़ासाहन में रेलवे ट्रैक पर बम लगाने वाले और साजिश के असफल होने पर दोनों आरोपियों को आईएसआई ने मौत के नींद सुलाने का खुलासा मोतिहारी पुलिस ने ही किया था. लेकिन आश्चर्य इस बात का है कि इतनी बड़ी साजिश को अंजाम देने वाले दोनों चाचा-भतीजा यानी दीपक राम और अरुण राम के घर पुलिस एक बार पूछताछ करने भी नहीं पहुंची. हांलाकि पैसेंजर ट्रेन उड़ाने की साजिश नाकाम हो गई थी फिर पुलिस से आगे घटना की कोई पड़ताल नहीं की है.
घटना को कानपुर में हुए दो बड़े रेल हादसों से जोड़कर भी देखा गया है. ये बात अलग है कि रेल हादसों में आईएसआई की साजिश की जांच करने वाली एनआईए की टीम पहली बार इनके घर पहुंची और पूछताछ की. बिहार नेपाल सीमा के रक्सौल अनुमंडल के लक्ष्मीपुर-आदापुर गांव के दो लोगों की नेपाल में 28 दिसंबर को हत्या कर दी गई थी. हत्या की जांच से पता चला कि हत्या घोड़ासहन में रेलवे ट्रेक पर 30 सितंबर की रात में लगाये गए कुकर बम के न फटने की वजह से आईएसआई ने इनके मौत का फरमान जारी किया था.
हत्या के मामले में अबतक 6 आरोपियों की गिरफ्तारी हुई हैं जिनमें से तीन को मोतिहारी पुलिस ने और तीन को नेपाल पुलिस ने गिरफ्तार किया. पूछताछ में पता चला कि ISI ने 3 लाख रुपये में इन्हें रेलवे ट्रैक पर विस्फोट कराने की सुपारी दी थी जो कि नाकाम हो गई . इस मामले में दो आरोपी अब भी फरार हैं.
पैसों के लालच में रची साजिश
पुलिस जांच में पता चला कि नेपाल के अपराधियों ने लक्ष्मीपुर-आदापुर के रहने वाले अरुण राम और दीपक राम को पैसों का लालच देकर इनसे आतंकी घटना को अंजाम दिलाने की कोशिश की थी जिसमें इनके साथ अन्य लोग भी शामिल हैं. साजिश के नाकाम होने पर ही इनकी हत्या कर दी गई है. हत्या का सूत्र नेपाल या सीमाई इलाके के अपराधी नहीं बल्कि दुबई में बैठा नेपाल का रहने वाला समसुल होदा से जुड़ा है जो कि आईएसआई का ऐजेन्ट है.
आरोपी अरुण राम की मां सुदमिया देवी ने कहा कि उनका बेटा और पोता बेगुनाह हैं. उन्हें फंसाया जा रहा है मेरी आर्थिक स्थिति बहुत खराब है मेरा बेटा ऐसी साजिश नहीं कर सकता. उन्होंने कहा कि अरुण तो खुद विकलांग था ठीक से चल फिर भी नहीं सकता था जबकि दीपक नेपाल के काठमांडू में काम करता है.
आदापुर थाने में आवेदन देने वाले मुतक के परिजन आरएस राम ने कहा कि हत्या के कई दिन बाद केस दर्ज किया गया पर आज तक कोई मेरे घर या गांव में जांच के लिए नहीं आया. अब जब टीम जांच के लिए आई है तो हमें इंसाफ की उम्मीद है. आरएस राम काफी ने बताया कि उन्हें डर है कि चाचा-भतिजे की तरह उनकी हत्या भी न हो जाये.
परिवार में अकेले आरएस राम ही कमाने वाले शख्स हैं वो जिस झोपड़ी के घर में रहते हैं उसकी भी हालत बहुत ही खराब है. आरोपी दीपक के चाचा आरएस राम ने पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा कि 25 दिसंबर को दोनों का अपहरण हुआ था 28 को दोनों का शव ये खुद नेपाल से लेकर आये थे. मोतिहारी पुलिस ने इस मामले में 14 जनवरी को मामला दर्ज किया और 17 जनवरी को मामले का खुलासा करते हुए कहा कि इस घटना के पीछे आईएसआई का हाथ है और कानपुर में हुए रेल हादसों में भी इन्हें लोगों की साजिश होने का शक जताया है.