बिहार में शराबबंदी के नए कानून के तहत ग्यारह थानेदारों को निलंबित किए जाने का मामला अब तूल पकड़ने लगा है. बिहार पुलिस एसोसिएसन ने राज्य के पुलिस महानिदेशक को स्मार पत्र देकर निलंबन वापस करने की मांग की है. ऐसा न करने पर आंदोलन करने की धमकी दी है. वहीं थानेदारों के निलंबन के मामले पर राजनीति भी शुरू हो गई है.
ड्यूटी करेंगी लेकिन थानेदारी नहीं
बिहार पुलिस एसोसिएसन के अध्यक्ष मृत्युंजय कुमार सिंह ने बिहार के डीजीपी पी.के. ठाकुर को थानेदार के निलंबन के मामले को लेकर सोमवार को एक ज्ञापन सौंपा. डीजीपी को दिए गए ज्ञापन में इस बात का उल्लेख
किया गया है कि अगर ग्यारह थानेदारों का निलंबन 28 अगस्त तक वापस नहीं किया गया तो बिहार के करीब आठ हजार पुलिस निरीक्षक और पुलिस अवर निरीक्षक अपने आपको थानाध्यक्ष की जिम्मेवारी से अलग
कर लेंगे. बिहार पुलिस एसोसिएसन ने यह भी लिखा है कि पुलिस निरीक्षक और पुलिस अवर निरीक्षक अपनी ड्यूटी तो करेंगे लेकिन थानेदारी नहीं करेंगे.
पुलिस मुख्यालय सख्त
शराबबंदी कानून के तहत बिहार के ग्यारह थानेदार को निलंबित किए जाने के मामले पर पुलिस मुख्यालय का रुख सख्त दिखाई दे रहा है. एडीजी मुख्यालय सुनील कुमार ने कहा है कि थानेदारों को अपने-अपने क्षेत्र में
शराब पर पूरी तरह पाबंदी लगाने का सख्त निर्देश दिया गया था. उसके बाद भी कई थाना क्षेत्रों में शराब के निर्माण और तस्करी पर रोक नहीं लग पा रही थी. बिहार के सभी थानों का रिव्यू करने के बाद पुलिस
मुख्यालय ने निलंबित करने की कार्रवाई की है. एडीजी सुनील कुमार ने कहा कि जिस किसी थानेदार को कोई समस्या है तो अपने क्षेत्र के पुलिस कप्तान से बात करें.
मामले पर राजनीति शुरू
इधर थानेदार को निलंबित किए जाने के मामले को लेकर राजनीति भी शुरु हो गई है. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि वे पूरी तरह बिहार में शराबबंदी के पक्ष में हैं लेकिन इसको लेकर जिस तरह
के अव्यवहारिक कदम बिहार में उठाए जा रहे हैं उस पर आपत्ति है.पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि शराबबंदी को लेकर जिस तरह के कानून बनाए गए हैं उससे न केवल बिहार की जनता दहशत में हैं बल्कि पुलिस अधिकारी
भी भयाक्रांत हैं. मांझी ने कहा कि पुलिस अधिकारी ईमानदारी पूर्वक काम कर रहे थे. लेकिन अब सरकार ही उनकी मंशा पर सवाल खड़ा कर रही है. जीतन राम मांझी ने भी यही कहा कि अभी भी बिहार में 11 लाख
लीटर शराब का उत्पादन हो रहा है.
हर रोज मिल रही है शराब
बिहार के सभी जिलों में हर दिन शराब की खेप पकड़ी जा रही है. मतलब साफ है कि बिहार में शराब पर पाबंदी नहीं लगी है. मांझी ने कहा जब घर से शराब या शराब की बोतल पकड़े जाने पर घर के मुखिया को जेल
हो सकती है तो जब बिहार में शराब पकड़ी जा रही है और शराब बन रही है इस स्थिति में सूबे के मुखिया को जेल होना चाहिए. विपक्ष के हमले और पुलिस एसोसिएसन की धमकी पर जेडीयू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने
कहा कि बिहार के डीजीपी का आदेश था कि जिस इलाके में शराब बनाने पर रोक नहीं लगेगी उस इलाके के थानेदार पर कार्रवाई होगी. थानेदारों का ये निलंबन उसी तहत हुआ है. नीरज कुमार का ये भी कहना है कि
सरकार की नीतियों का अनुपालन करना उनकी जिम्मेवारी है और इस जिम्मेवारी से वे भाग नहीं सकते. उन्होंने कहा कि पुलिस मुख्यालय द्वारा की गई कार्रवाई पर आंदोलन की धमकी देना कहीं से भी उचित नहीं
है.
बता दें कि पुलिस मुख्यालय ने शराब के धंधे को रोकने में लापरवाही बरतने के आरोप में बिहार के ग्यारह थानेदारों को निलंबित कर दिया था.नए अधिनियम के तहत अब इन ग्यारह थानेदारों की अगले दस साल तक किसी थाना में बतौर थानेदार पोस्टिंग भी नहीं होगी.
इन 11 पर हुई कार्रवाई
जिन ग्यारह थानेदार पर शराबबंदी कानून की गाज गिरी है वो हैं. मसौढी के थानेदार अरुण कुमार अकेला, फुलवारीशरीफ के अकील अहमद, जहानाबाद जिला के मखदुमपुर के रवीन्द्र नाथ सिंह, रोहतास के डेहरी के थानेदार
ईश्वर चंद्र विद्यासागर, कैमूर के चांद के सरोज कुमार सिंह, मोतिहारी मुफ्फसिल के किशोरी चौधरी, भागलपुर सुलतानगंज के कृपा शंकर आजाद, पूर्णिया मरंगा के थानेदार मुकेश कुमार, रुपौली के नवीन कुमार, सीतामढ़ी
के रुन्नीसैदपुर के मनोज कुमार सिंह और बैरगनिया के थाना प्रभारी संजीव कुमार हैं.