बिहार में मंगलवार को बड़ा सियासी उलटफेर हुआ. नीतीश कुमार ने बीजेपी से अलग होने का फैसला कर लिया है. जदयू की बैठक में इस पर मुहर लग गई. यह दूसरा मौका है, जब नीतीश कुमार ने अपने पुराने सहयोगी बीजेपी से नाता तोड़ा है. इससे पहले नीतीश कुमार 2013 में बीजेपी से अलग हुए थे. हालांकि, 2017 में वे महागठबंधन का साथ छोड़कर बीजेपी के साथ आ गए थे.
बिहार में अब जदयू, आरजेडी, कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियों के महागठबंधन वाली नई सरकार होगी. हालांकि, इस बार भी सीएम नीतीश कुमार ही होंगे. तेजस्वी यादव डिप्टी सीएम बन सकते हैं. उन्होंने गृह मंत्रालय की भी मांग की है. बिहार की राजनीति में हुए उलटफेर का असर देश की राजनीति पर भी पड़ेगा. इस घटनाक्रम के बाद 11 बड़े संदेश सामने आ रहे हैं.
1- नीतीश कुमार एक ऐसे नेता हैं, जिनका राजनीति में न तो कोई परमानेंट दोस्त है और न ही परमानेंट दुश्मन.
2- नीतीश कुमार को उम्मीद है कि वे बीजेपी का दामन छोड़कर राजद के साथ आकर बिहार में अपना अस्तित्व सुनिश्चित कर सकते हैं.
3- नीतीश अब राष्ट्रीय स्तर पर मोदी के विकल्प के रूप में अपनी पुरानी आशा को फिर से पुनर्जीवित करने की कोशिश कर सकते हैं.
4- बार बार यू टर्न लेने की वजह से 2022 के नीतीश 2013 के नीतीश की तुलना में अपना महत्व कम किया है.
5- महाराष्ट्र में उद्धव सरकार गिरने के बाद नीतीश कुमार ने बीजेपी से नाता तोड़कर विपक्ष को नया जोश देने का काम किया है.
6- भाजपा अब बिहार में नंबर एक पार्टी के रूप में उभरने की अपनी आशा पर खुलकर काम कर सकेगी.
7- नीतीश का जाना यानी एक और पुराने सहयोगी को खोना 2024 से पहले बीजेपी के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है.
8- बीजेपी लालू और विपक्ष के खिलाफ भ्रष्टाचार विरोधी अभियान तेज करेगी.
9- कांग्रेस जैसी पार्टियों के पास बिहार और हिंदी भाषी क्षेत्रों में सीमित विकल्प हैं, लेकिन वे बड़ी स्थानीय पार्टियों के साथ गठबंधन कर अहम भूमिका में आ सकते हैं.
10- अब नीतीश कुमार ममता, केजरीवाल और गांधी परिवार के साथ विपक्षी नेतृत्व का चेहरा बनने वाले उम्मीदवारों में से एक हैं.
11- महाराष्ट्र में हाल में जिस तरह बीजेपी ने उद्धव सरकार को गिराया, उससे नीतीश सतर्क हुए.
12. नीतीश अब लालू-तेजस्वी के पास लौटे रहे हैं, लेकिन इस वक्त RJD मजबूत स्थिति में है. क्योंकि विधानसभा में उसके नंबर ज्यादा हैं और नीतीश ही पाला बदलना चाहते हैं.