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चाचा पशुपति पारस के मोदी सरकार में शामिल होने के बाद क्या है चिराग के सामने विकल्प?

Bihar Politics: अब चुनौती चिराग पासवान के सामने है कि वह अपने पिता की तरह राजनीतिक सूझबूझ और दूरदृष्टि दिखाएं और फैसला करें कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले वह किससे जुड़ना चाहते हैं, एनडीए या फिर महागठबंधन? या फिर वो अपना स्वतंत्र राजनीतिक वजूद रखना चाहते हैं.

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चिराग पासवान और पशुपति पारस
चिराग पासवान और पशुपति पारस
स्टोरी हाइलाइट्स
  • एलजीपी में वर्चस्व को लेकर चिराग और पशुपति में तकरार
  • पशुपति पारस मोदी कैबिनेट में हुए शामिल
  • चिराग पासवान के सामने राजनीतिक चुनौती

चाचा पशुपति पारस के नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल में शामिल हो जाने के बाद अब सवाल खड़े हो रहे हो कि आखिर चिराग पासवान के पास भविष्य की राजनीति करने के लिए क्या विकल्प बचे हैं?

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पूर्व केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी के संस्थापक दिवंगत रामविलास पासवान के बेटे चिराग चाचा पशुपति पारस की लोक जनशक्ति पार्टी में बगावत के बाद का फिलहाल बिहार में आशीर्वाद यात्रा पर निकले हुए हैं, जहां पर लोगों से जनसंपर्क कर रहे हैं. इस यात्रा के दौरान चिराग पासवान दलित और पासवान वोट बैंक जो उसके मुख्य वोटर है उनको भी एकजुट करने की कोशिश की जा रही है.

राष्ट्रीय राजनीति हो या फिर बिहार की राजनीति रामविलास पासवान हमेशा बिहार में 6% पासवान वोट बैंक के जरिए प्रासंगिक रहे.

आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद और रामविलास पासवान को मौसम वैज्ञानिक भी कहते थे.1989 से लेकर 2020 तक रामविलास केंद्र में वीपी सिंह की सरकार से लेकर नरेंद्र मोदी सरकार तक सभी ने मंत्री रहे. देश में राजनीतिक हवा किस तरफ बह रही है शायद रामविलास पासवान अच्छी तरीके से समझ लिया करते थे और उन्होंने बार-बार यह साबित भी किया कि क्यों लालू उन्हें मौसम वैज्ञानिक कहां करते थे.

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अब चुनौती चिराग पासवान के सामने है कि वह अपने पिता की तरह राजनीतिक सूझबूझ और दूरदृष्टि दिखाएं और फैसला करें कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले वह किस दल से जुड़ना चाहते हैं, एनडीए या फिर महागठबंधन? या फिर वो अपना स्वतंत्र राजनीतिक वजूद रखना चाहते हैं.

चिराग का मुख्य उद्देश्य इस समय अपने 6% पासवान वोट बैंक को एकजुट रखना है और इसी वजह से वह आशीर्वाद यात्रा पर निकले हुए हैं और लोगों को संदेश दे रहे हैं कि रामविलास पासवान की राजनीतिक विरासत के असली वारिस वही है.

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हालांकि, 2024 लोकसभा चुनाव तक के चिराग पासवान के लिए राजनीतिक सफर आसान नहीं है. यह बात तो तय है कि अगले 3 सालों में चिराग पासवान को जमीन पर काम करना होगा और अपने आपको बिहार का दलित नेता के रूप में स्थापित करना होगा जिसके पास 6% वोट बैंक है.


एनडीए विकल्प?

लोक जनशक्ति पार्टी में पिछले दिनों जिस तरीके से घमासान मचा और चाचा पशुपति पारस चिराग को हटाकर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गए इस पूरे घटनाक्रम पर बीजेपी ने ना केवल चुप्पी साधे रखी बल्कि दूरी भी बनाई.

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2020 विधानसभा चुनाव में चिराग जो खुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हनुमान कहते थे उन्हें भी उम्मीद थी कि उनके पार्टी में जो बवाल मचा है उस पर बीजेपी उनका साथ देगी मगर ऐसा नहीं हुआ.

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बीजेपी फिलहाल चिराग पासवान के मुद्दे पर वेट एंड वॉच की नीति पर काम कर रही है. बीजेपी को यह पता है कि रामविलास पासवान की राजनीतिक विरासत के असली वारिस चिराग पासवान है और बिहार में 6% वोट बैंक भी चिराग के पास है. बीजेपी को इस बात का भी एहसास है कि 2024 लोकसभा चुनाव में चिराग पासवान को नजरअंदाज बिल्कुल भी नहीं किया जा सकता है.

इसी कारण से बीजेपी चिराग के आशीर्वाद यात्रा पर नजर बनाई हुई है और यह देख रही है कि आखिर जनता के साथ कितना समर्थन उन्हें प्राप्त हो रहा है.

इस तरीके की भी खबर आई थी कि लोक जनशक्ति पार्टी मजबूत हुई है उसके पीछे बीजेपी का हाथ था मगर इसके बावजूद भी चिराग में अब तक खुलकर बीजेपी के खिलाफ हमें कुछ भी नहीं बोला है जो साफ संकेत देता है कि वह भी 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर एनडीए के तरफ जाने का अपना विकल्प खुला रखना चाहते हैं.

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महागठबंधन विकल्प?

राष्ट्रीय जनता दल की तरफ से चिराग पासवान को महागठबंधन में शामिल होने के लिए न्यौता कई बार मिल चुका है.

सूत्रों की माने तो आरजेडी नेता तेजस्वी यादव चिराग के साथ संपर्क करें. दरअसल, तेजस्वी और चिराग इस रणनीति पर भी विचार कर रहे हैं कि 2025 बिहार विधानसभा चुनाव में बिहार के इन दोनों युवा नेताओं को साथ आ जाना चाहिए और उम्र दराज हो चुके मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को गद्दी से उतार देना चाहिए.

तेजस्वी ने कई मौकों पर चिराग पासवान को महागठबंधन में शामिल होने का निमंत्रण देते हुए कहा है कि उन्हें यह फैसला करना है कि वह गोलवलकर की विचारधारा वाली पार्टी के साथ रहना चाहते हैं या फिर बाबा भीमराव अंबेडकर के विचारधारा वाले लोगों के साथ जुड़ना चाहते हैं?

अगर चिराग महागठबंधन में शामिल होने का फैसला करता है तो इसके लिए उन्हें बहुत समझौता करना पड़ेगा और तेजस्वी को अपना नेता स्वीकार करना पड़ेगा. महागठबंधन के सभी घटक दल चाहे वह कांग्रेस हो या फिर वामपंथी सभी ने तेजस्वी को ही अपना नेता पहले से माना हुआ है.

चिराग अगर महागठबंधन में शामिल होने का फैसला करता है तो इसके लिए उन्हें एनडीए को छोड़ना पड़ेगा मगर ऐसा करने से पहले उन्हें अपने सभी विकल्पों पर विचार करना पड़ेगा. सबसे खास बात यह है कि उन्हें अपने पिता की तरह राजनीतिक मौसम वैज्ञानिक बनना पड़ेगा जिनकी भविष्यवाणी उनके 50 साल के राजनीतिक सफर में शायद ही कभी गलत रही.

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