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जानिए पांच वजह, क्यों तेजस्वी चाहते हैं चिराग को महागठबंधन में शामिल कराना?

तेजस्वी के खुलकर चिराग को महागठबंधन में शामिल होने के ऑफर को लेकर यह सवाल उठने लगा है कि आखिर क्यों तेजस्वी के लिए चिराग पासवान इतने महत्वपूर्ण हो गए हैं ?

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चिराग पासवान और तेजस्वी यादव
चिराग पासवान और तेजस्वी यादव
स्टोरी हाइलाइट्स
  • तेजस्वी का चिराग पासवन को ऑफर
  • महागठबंधन का हिस्सा बनने की अपील
  • जानिए इस अपील के सियासी मायने

लोक जनशक्ति पार्टी के दिवंगत संस्थापक रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान 5 जुलाई से आशीर्वाद यात्रा पर निकलने वाले हैं. चिराग पासवान की यात्रा उस वक्त हो रही है जब पिछले दिनों लोक जनशक्ति पार्टी के अंदर टूट हो गई और उनके सांसद चाचा पशुपति पारस ने उनके खिलाफ बगावत कर दी.

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चिराग पासवान की आशीर्वाद यात्रा इस वजह से बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पहला मौका होगा जब रामविलास पासवान की गैरमौजूदगी में चिराग पासवान खुद की राजनीतिक जमीन तलाशने की कोशिश करेंगे. यह यात्रा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके जरिए चिराग पासवान लोगों को यह संदेश भी देना चाहेंगे कि रामविलास पासवान की राजनीतिक विरासत के असली उत्तराधिकारी वह हैं.

हालांकि, चिराग की आशीर्वाद यात्रा से पहले बिहार के राजनीतिक गलियारे में आरजेडी नेता तेजस्वी यादव के एक बयान से सरगर्मी तेज हो गई है. इस वक्त जब चाचा पशुपति पारस और भतीजे चिराग पासवान के बीच लोक जनशक्ति पार्टी पर किसका कब्जा हो इसको लेकर चुनाव आयोग में मामला चल रहा है, उसी बीच तेजस्वी यादव ने चिराग पासवान को महागठबंधन में शामिल होने का न्योता दे दिया है.

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पिछले दिनों लोक जनशक्ति पार्टी में बवाल के बीच आरजेडी के कई नेताओं ने चिराग पासवान को तेजस्वी के साथ हाथ मिलाने की सलाह दी थी. अब तेजस्वी के खुलकर चिराग को महागठबंधन में शामिल होने का ऑफर को लेकर यह सवाल उठने लगा है कि आखिर क्यों तेजस्वी के लिए चिराग पासवान इतने महत्वपूर्ण हो गए हैं ?

1. 6% पासवान वोट बैंक

पशुपति पारस और चिराग पासवान के बीच लोक जनशक्ति पार्टी को लेकर दावेदारी की जंग चुनाव आयोग में चल रही है मगर जमीनी हकीकत दरअसल यह है कि ज्यादातर लोग चिराग पासवान के समर्थन में नजर आ रहे हैं. 2020 बिहार विधानसभा चुनाव में चिराग ने अकेले ही पार्टी का नेतृत्व किया था और उनकी पार्टी को तकरीबन 26 लाख वोट (6% वोट) मिले थे साथ ही उनके एक उम्मीदवार ने जीत भी हासिल की थी. 9 सीटों पर लोक जनशक्ति पार्टी दूसरे नंबर पर आई थी.

आशीर्वाद यात्रा के जरिए चिराग बिहार के दलित वोट बैंक को अपने पक्ष में मजबूत करने की कोशिश करेंगे. रामविलास पासवान भी बिहार की राजनीति में हमेशा इसलिए महत्वपूर्ण बने रहे क्योंकि 6 फ़ीसदी पासवान वोट पर उनका दबदबा लगातार बना रहा. तेजस्वी जानते हैं कि रामविलास पासवान की राजनीतिक विरासत के उत्तराधिकारी चिराग ही हैं और बिहार विधानसभा चुनाव में चिराग ने साबित किया कि वह भी तेजस्वी की तरह भीड़ जुटाने में सक्षम हैं.

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चिराग पासवान की ताकत कितनी है यह उन्होंने 2020 विधानसभा चुनाव में दिखा दिया जब उन्होंने जनता दल यूनाइटेड को कई सीटों का नुकसान पहुंचाया. उस वजह से नीतीश कुमार की पार्टी केवल 43 सीट पर जीत हासिल कर पाई. इस बारे में राजनीतिक विशेषज्ञ अभय मोहन झा ने कहा कि जमीनी हकीकत यह है कि लोग चिराग को ही रामविलास पासवान का असली राजनीतिक वारिस मानते हैं. चिराग की आशीर्वाद यात्रा बहुत महत्वपूर्ण है. तेजस्वी जानते हैं कि 6 फ़ीसदी पासवान वोट बैंक चिराग के पास है. सवाल केवल यह उठता है कि क्या चिराग पासवान बिहार के साथ अपना कनेक्शन बनाए रख सकते हैं या फिर नहीं.

2. MYP

2020 चुनाव में तेजस्वी ने साबित किया है कि मुस्लिम और यादव मतदाता अभी भी आरजेडी के साथ खड़े हैं. ऐसे में अगर चिराग पासवान महागठबंधन में शामिल हो जाते हैं तो उसकी ताकत कई गुना बढ़ जाएगी. आरजेडी के पास आज भी 17 फ़ीसदी मुस्लिम और 16 फ़ीसदी यादव वोट बैंक है और ऐसे में अगर 6 फ़ीसदी पासवान वोट बैंक जुड़ जाता है तो उन 39 फ़ीसदी वोट बैंक के साथ 2024 लोकसभा चुनाव में वह बिहार में एनडीए को हरा सकती है.

3. दलित वोट बैंक मजबूत होगा

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चिराग पासवान अगर 6 फ़ीसदी पासवान वोट के साथ महागठबंधन में शामिल होते हैं तो इसका असर बिहार के 16 फ़ीसदी दलित वोट बैंक पर पड़ेगा. माना जा रहा है कि चिराग अगर महागठबंधन में शामिल हो जाएंगे तो एक बड़ा दलित वोट बैंक महागठबंधन को वोट कर सकते हैं. बिहार में जनता दल यूनाइटेड और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया( माले) भी खुद को दलित वोट बैंक का दावेदार बताती है. बिहार में खुद को मजबूत करने के लिए बीजेपी भी अति पिछड़ों के साथ दलित की राजनीति करती है.

CPI(ML) 2020 विधानसभा चुनाव से महागठबंधन में है और उसके 12 विधायक भी हैं. ऐसे में चिराग पासवान के महागठबंधन में शामिल होने से जनता दल यूनाइटेड और बीजेपी के दलित वोट बैंक पर असर पड़ेगा.

4. 2025 युवाओं का चुनाव

तेजस्वी और चिराग दोनों यह बात मानते हैं कि नीतीश कुमार का यह आखरी कार्यकाल है और 2025 का विधानसभा चुनाव में युवा नेताओं का चुनाव होगा. तेजस्वी को इस बात की भी तकलीफ होती है कि 2020 विधानसभा चुनाव में महागठबंधन और एनडीए की जीत में फैसला केवल तकरीबन 12000 वोट का था.

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चिराग अगर अपनी महत्वाकांक्षा पर लगाम लगाकर तेजस्वी को कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों की तरह नेता मान लेते हैं तो 2025 में तेजस्वी और चिराग एनडीए को बिहार में धूल चटा सकते हैं. सूत्रों के मुताबिक तेजस्वी और चिराग भी यह मानते हैं कि उनका पहला मकसद पुरानी पीढ़ी के नेताओं को राजनीति से हटाना है.

5. दोनों का दुश्मन नंबर वन- नीतीश कुमार

पिछले दिनों लोक जनशक्ति पार्टी में जो उठापटक मचा उसको देखकर जन भावना यही है कि यह सब कुछ नीतीश कुमार के इशारे पर हुआ है और इस खेल में बीजेपी में शामिल थी. पार्टी में हुई टूट को लेकर हाल में चिराग पासवान ने बीजेपी को लेकर बयान भी दिया था जिसमें उन्होंने कहा था कि बीजेपी ने उन्हें अधर में छोड़ दिया.

ऐसे हालात में तेजस्वी और चिराग का दुश्मन एक ही है- नीतीश कुमार. तेजस्वी जरूर चाहते हैं कि चिराग पासवान उनके साथ हाथ मिला ले ताकि दोनों मिलकर अपने साझा दुश्मन से लड़ सकें.

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