बिहार में एलजेपी संस्थापक रामविलास पासवान के निधन से खाली हुई राज्यसभा सीट पर बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी निर्विरोध चुन लिए गए हैं. सुशील मोदी के खिलाफ किसी भी पार्टी ने कोई प्रत्याशी नहीं उतारा था. वहीं, निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर उतरे श्यामनंदन प्रसाद का शुक्रवार को नामांकन अवैध घोषित कर दिया गया था. ऐसे में सुशील मोदी अकेले प्रत्याशी थे, जिसके चलते उनका राज्यसभा के लिए सोमवार को निर्विरोध निर्वाचन का रास्ता साफ हो गया.
विपक्ष ने राज्यसभा में नहीं उतारा प्रत्याशी
बिहार में राज्यसभा चुनाव का सियासी गणित एनडीए के पक्ष में था. एनडीए को 126 विधायकों का समर्थन हासिल है जबकि महागठबंधन के साथ 110 विधायक और सात अन्य हैं. यही वजह रही कि आरजेडी के प्रस्ताव को एलजेपी प्रमुख चिराग पासवान ने स्वीकार नहीं किया था. चिराग पासवान ने इसीलिए लिए अपनी मां को राज्यसभा चुनाव में उतारने से पीछे हट गए थे, क्योंकि उन्हें पता था विपक्ष के सारे वोट एकजुट होने के बाद भी उनकी सीट नहीं निकल पाएगी.
विधानसभा, लोकसभा और फिर विधान परिषद के बाद अब सुशील मोदी राज्यसभा सदस्य होंगे. बिहार के ऐसे तीसरे नेता बन गए हैं, जो चारों सदनों के सदस्य रहे. इसके साथ बिहार बीजेपी के इतिहास में पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी चारों सदन का सदस्य बनने वाले एकलौते नेता बन गए हैं.
बता दें कि सुशील मोदी से पहले बिहार बीजेपी से कोई भी सदस्य अभी तक चारों सदन का सदस्य नहीं बना है. इस फेहरिस्त में अभी तक आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव और पूर्व केंद्रीय मंत्री नागमणि ही चारों सदन के सदस्य जरूर रह चुके हैं. सुशील मोदी बिहार भाजपा के पहले ऐसे नेता बन गए हैं, जिन्हें चारों सदनों का सदस्य होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है
सुप्रीमो लालू प्रसाद 1977 में लोकसभा गए और फिर 1980 में विधानसभा सदस्य. लालू 1990 में बिहार विधान परिषद के सदस्य बने और 2002 में राज्यसभा सदस्य. इसी प्रकार के पूर्व केंद्रीय मंत्री नागमणि भी 1977 में विधानसभा सदस्य बने और उसके बाद 1995 में राज्यसभा सदस्य. नागमणि और 1999 में लोकसभा के सदस्य बने और फिर 2006 में बिहार विधान परिषद के सदस्य. सुशील मोदी 1990 में पहली बार विधानसभा सदस्य बने और फिर 2004 में भागलपुर से लोकसभा सांसद बने. 2005 से अब तक सुशील मोदी बिहार विधान परिषद के सदस्य रहे और अब निर्विरोध चुने जाने के बाद वह अब राज्यसभा के सांसद बन गए हैं.