बिहार के बाहुबली शहाबुद्दीन के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ने वाले और उन्हें तिहाड़ जेल पहुंचाने वाले चंदेश्वर प्रसाद उर्फ चंदा बाबू का निधन हो गया है. सीवान में हुए चर्चित तेज़ाब कांड के खिलाफ चंदा बाबू ने लड़ाई लड़ी थी, जिसके बाद शहाबुद्दीन पर एक्शन हुआ था.
चंदा बाबू लंबे वक्त से बीमार थे, जिसके बाद बीते दिन हृदय गति रुकने से अस्पताल में उनका निधन हो गया. उनके निधन के बाद घर पर सांत्वना देने वालों का ताता लगा है.
आपको बता दें कि बिहार के सीवान में 2004 में बहुचर्चित तेजाब कांड में चंदा बाबू के तीनों बेटों की मौत हो गई थी. इसी के बाद उन्होंने अकेले दम पर शहाबुद्दीन के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ी थी. शहाबुद्दीन पर अन्य भी कई हत्या के मामले थे, जिसके बाद 2005 में उन्हें दिल्ली से पकड़ा गया था और जेल की हवा खानी पड़ी थी.
क्या था बिहार का तेज़ाब कांड?
बिहार के सीवान में रहने वाले चंदा बाबू जाने-माने दुकानदार थे. 2004 में जब कुछ बदमाशों ने उनसे रंगदारी मांगी, तो उसके बाद सबकुछ बदल गया. जब बदमाशों ने रंगदारी मांगी, तो चंदा बाबू का बेटा दुकान पर था. लेकिन बदमाशों से कहा सुनी हुई और इसी बीच बदमाशों ने चंदा बाबू के दोनों बेटों पर तेजाब डाल दिया. तेजाब से नहलाने के बाद दोनों भाईयों को मार दिया गया. हालांकि, इस दौरान तीसरा भाई बच गया था.
इसी के बाद चंदा बाबू ने शहाबुद्दीन के खिलाफ कानूनी लड़ाई की शुरुआत की थी. जो 2004 से शुरू होकर लंबे वक्त तक चली, उस वक्त बिहार में बाहुबलियों का दबदबा था लेकिन नीतीश सरकार ने शहाबुद्दीन पर एक्शन आगे बढ़ाया. हालांकि, ये केस लंबे वक्त तक चलता रहा और 2014 में चंदा बाबू के तीसरे बेटे राजीव जो कि तेजाब कांड का गवाह था, उसकी गोली मारकर हत्या कर दी गई.