बिहार में दहेज हत्या के एक मामले में आरोपी को 21 साल बाद गिरफ्तार किया गया है. इस मामले में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए सवाल किया कि आरोपी की गिरफ्तारी में आखिर 21 साल क्यों लग गए. सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) और पटना उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
सुप्रीम कोर्ट ने बच्चा पांडेय बनाम बिहार सरकार मुकदमे में राज्य के डीजीपी और पटना हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से सवाल किए हैं. दहेज हत्या का यह मामला 1999 का है, जब दहेज के लिए मार डाली गई युवती के भाई ने एफआईआर दर्ज कराई थी. इस मामले में आरोप लगाया गया था कि पीड़िता के पति और ससुराल वालों ने दहेज के लिए उसका उत्पीड़न किया और फिर हत्या कर दी. इतना ही नहीं आरोपी पति और उसके परिवारवालों ने शव का अंतिम संस्कार उन लोगों को सूचित किए बिना ही कर दिया था.
इस मामले में नामजद सभी आरोपियों के खिलाफ 10 साल बाद चार्जशीट दायर की गई थी. अंतिम रिपोर्ट में कहा गया है कि प्राथमिकी के सभी नामजद अभियुक्तों के खिलाफ चार्जशीट के लिए पर्याप्त साक्ष्य उपलब्ध कराए जा चुके हैं. गौरतलब है कि साल 2020 की शुरूआत में हाईकोर्ट ने उसकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी. केस डायरी के अनुसार मृतका की बिसरा जांच में अत्यधिक जहरीले पदार्थ का पता चला था. अभियुक्त को सात जून 2020 को गिरफ्तार किया गया था. पहले सत्र अदालत ने और फिर बाद में हाईकोर्ट ने उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी.
जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की बेंच ने आरोपी पति की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि एक युवती की हत्या से जुड़े गंभीर अपराध के सिलसिले में जांच किए जाने में और अभियुक्त के खिलाफ अभियोग शुरू करने में स्पष्ट देरी बहुत ही परेशान करने वाली है और इसका कारण स्पष्ट भी नहीं है.
कोर्ट ने कहा कि यह काफी चिंताजनक है कि पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की. बेंच ने कहा कि रिकॉर्ड में लाए गए साक्ष्य चौंकाने वाली स्थिति को दर्शाते हैं. बेंच ने अभियुक्त की जमानत याचिका खारिज करते हुए बिहार के पुलिस महानिदेशक और पटना हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को नोटिस जारी किए. कोर्ट ने उन्हें मुकदमे के विवरण को लेकर एक रिपोर्ट पेश करने और इस तरह की अत्यधिक देरी का कारण बताने का निर्देश दिया है.