प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान को बिहार में किस तरीके से सफल बनाया जाए इसको लेकर पिछले दिनों बिहार सरकार ने एक फरमान जारी किया जिसमें कहा गया कि सरकारी शिक्षक सुबह और शाम खुले में शौच करने वाले लोगों को ऐसा नहीं करने के लिए जागरुक करेंगे और जरूरत पड़ी तो खुले में शौच करने वाले लोगों को शर्मिंदा करने के लिए उनकी तस्वीरें भी खींचेंगे. राज्य सरकार के इस फैसले का कई शिक्षक संगठनों ने विरोध किया जिसके बाद सरकार को गुरुवार को अपना फैसला वापस लेना पड़ा है.
दरअसल, बिहार सरकार के इस फैसले के बाद बवाल काफी बढ़ गया और बुधवार को ही शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा ने बैकफुट पर आते हुए कहा कि शिक्षक समाज के एक प्रतिष्ठित व्यक्ति होते हैं इसी वजह से उन्हें खुले में शौच करने वाले लोगों को ऐसा नहीं करने के लिए जागरूकता फैलाने के लिए कहा गया है मगर ऐसा करने वाले लोगों को शर्मिंदा करने के लिए उनकी तस्वीरें लेने वाली बात को शिक्षा मंत्री ने सिरे से गलत बताया.
शिक्षा मंत्री की तरफ से मिले इस संदेश के बाद सबसे पहले मुजफ्फरपुर के कुढ़नी प्रखंड के शिक्षा पदाधिकारी ने एक नया आदेश निकालकर पहले के आदेश को वापस ले लिया.
बिहार सरकार ने पहले जो आदेश जारी किया था उससे शिक्षक काफी नाराज थे और उनका कहना था कि खुले में शौच करने वाले लोगों को जागरुक करने की बात तो सही है मगर ऐसा करने वाले लोगों की तस्वीर लेना उनके लिए जोखिम भरा काम हो सकता है और इसी वजह से कई शिक्षक संघों ने बुधवार को ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को एक पत्र लिखकर सरकार से आग्रह किया था कि वह अपने आदेश को वापस ले ले.
विपक्षी दलों ने भी बिहार सरकार के आदेश का हवाला देते हुए कहा था कि नीतीश सरकार ने शिक्षकों के पीटने का इंतजाम कर दिया है. हालांकि, बिहार सरकार के अपने फैसले को वापस लेने के बाद शिक्षकों ने राहत की सांस ली है.