लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद से ही बिहार में महागठबंधन पर संकट के बादल मंडराने लगे थे. यही वजह है कि अब विधानसभा चुनाव से पहले बिहार की सियासत में नई इबारत लिखी जाने लगी हैं. राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) से खार खाए जन अधिकार पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व सांसद पप्पू यादव, सीपीआई के कन्हैया कुमार और हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के अध्यक्ष जीतन राम मांझी आपस में हाथ मिलाकर थर्ड फ्रंट बनाने की कवायद में जुट गए हैं.
बता दें कि पप्पू यादव लोकसभा चुनाव के पहले से ही तीसरे मोर्चे के गठन की कोशिश में लगे हैं. लेकिन लोकसभा चुनाव के दौरान यह संभव नहीं हो पाया था. अब अगले साल बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर नई कवायद शुरू की है. लोकसभा चुनाव में हार के बाद विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव राजनीतिक निष्क्रियता के दौर से गुजर रहे हैं. इसी मद्देनजर जीतन राम मांझी ने आरजेडी के नेतृत्व वाले महागठबंधन से नाता तोड़कर अलग हो गए हैं.
बिहार की मौजूदा सियासी माहौल को देखते हुए जन अधिकार पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व सांसद पप्पू यादव ने गुरुवार को जीतन राम मांझी से मुलाकात की. मांझी और पप्पू यादव ने दो घंटे तक बंद कमरे में बिहार की सियासत को लेकर मंथन किया. इस दौरान दोनों नेताओं ने बिहार में गैर-एनडीए और बगैर-आरजेडी दलों को एक साथ लाकर गठबंधन बनाने का स्वरूप दिया है. यही नहीं पप्पू यादव ने पूर्व सीएम मांझी के सामने थर्ड फ्रंट का नेतृत्व करने का ऑफर देकर बड़ा दांव खेल दिया है.
हाल ही में पप्पू यादव और जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष एवं सीपीआई नेता कन्हैया कुमार की मुलाकात हुई थी. इस मुलाकात में आगामी विधानसभा चुनाव में गैर-एनडीए और बगैर-आरजेडी दलों के गठबंधन बनाने की बात हुई थी. यही वजह रही कि मांझी से मुलाकात में पप्पू यादव ने प्रस्तावित गठबंधन में कन्हैया कुमार को शामिल करने को लेकर भी बातचीत की.
पप्पू यादव ने कहा कि मांझी और कन्हैया जैसे लोग के साथ ही बिहार में बेहतर विकल्प की संभावना बनेगी. यही नहीं पप्पू यादव ने मांझी को तीसरे मोर्चे के नेतृत्व करने का ऑफर भी दे दिया है. इसके अलावा कांग्रेस को भी साथ लाने की कवायद कर रहे हैं.
दरअसल लोकसभा चुनाव में आरजेडी नेता तेजस्वी यादव के जिद के चलते ही पप्पू यादव और कन्हैया कुमार की बीजेपी के खिलाफ बने महागठबंधन में एंट्री नहीं हो सकी थी. अब दोनों नेता आरजेडी से हिसाब बराबर करने की कोशिश में है. इसीलिए अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी अभी से शुरू कर दी है और साथ ही गैर-एनडीए और बगैर-आरजेडी दलों के गठबंधन बनाने में जुट गए हैं.