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बिहार में देसी शराब पर बैन, जानें अब क्या हैं नए नियम?

शराब पीकर घर में भी हंगामा करने वाले अब नहीं बख्शे जाएंगे. घर में शराब पीकर हंगामा करने पर 10 साल की सजा होगी.

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बिहार में देसी शराब की बिक्री और सेवन पर पाबंदी लगा दी गई है. सरकार ने इसे सफल बनाने के लिए कानून में कड़े प्रावधान किए हैं. साथ ही जागरुकता अभियान भी चलाया जा रहा है. शराब बैन से जुड़ी बड़ी बातें यहां जानिए.

क्या कहता है कानून?
शराबबंदी को सफल बनाने के लिए उत्पाद संशोधन विधेयक में सख्त सजा का प्रावधान किया गया है. जहरीली शराब बनाने वालों के लिए मृत्युदंड तक का प्रावधान किया गया है, जबकि शराब पीकर कोई विकलांग हुआ, तो शराब बनाने वाले को आजीवन कारावास की सजा दी जाएगी.

शराब पीकर घर में भी हंगामा करने वाले अब नहीं बख्शे जाएंगे. घर में शराब पीकर हंगामा करने पर 10 साल की सजा होगी. जबकि सार्वजनिक जगहों पर हंगामा करने पर कम से कम पांच साल की सजा का प्रावधान किया गया है.

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नए कानून के मुताबिक किसी को भी अवैध तरीके से शराब पिलाने वालों को कम से कम आठ साल की सजा होगी. कानून में बच्चों का खास ध्यान रखा गया है. बच्चों को शराब पिलाने पर न्यूनतम सात साल की सजा का प्रावधान है.

अवैध शराब कारोबारियों पर गिरेजी गाज
नये कानून में सरकार ने पीने वालों के साथ-साथ अवैध शराब कारोबारियों पर भी शिकंजा कसने का मन बना लिया है. बैन के बावजूद अवैध तरीके से शराब का कारोबार करते हुए पकड़े जाने पर सजा के साथ-साथ संपत्ति जब्त करने का भी कानून में प्रावधान है.

विदेशी शराब पर सरकार का शिकंजा
बिहार सरकार ने विदेशी शराब की ब्रिकी को लेकर भी नए कानून में प्रावधान किया है. किस-किस कंपनी की शराब बेची जाएगी ये चिन्हित कर दी गई है. यानी अब शराब की दुकानों में सरकारी मुहर वाली ही शराब मिलेगी.

सरकार को करोड़ों का नुकसान
नई नीति लागू होने ने बिहार में कुल शराब दुकानों की संख्या में करीब 90 फीसदी की कमी हो जाएगी. शराब की बिक्री और सेवन पर पाबंदी लगने से बिहार को करीब 3200 करोड़ रुपये का घाटा हो सकता है.

शराब की दुकान में दूध की बिक्री
बिहार सरकार ने शराब की बंद हुई दुकानों में दूध की डेयरी खोलने का प्रावधान किया है. सरकार की मानें तो अब तक 200 शराब विक्रेताओं ने अपनी शराब की दुकान की जगह सुधा के बूथ खोलने के लिए आवेदन किए हैं.

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बिहार को शराबमुक्त बनाने का संकल्प
बिहार सरकार का कहना है कि पहले चरण में ग्रामीण इलाकों में देसी और मसालेदार शराब पर प्रतिबंध लगाया गया है. दूसरे चरण में राज्य में पूर्ण शराबबंदी लागू होगी. और इसपर सरकार अपनी तैयारी में जुटी है.

सरकार का दावा है कि देसी शराब को बैन करने से पहले एक करोड़ से ज्यादा स्कूली बच्चों के अभिभावकों से शराब का सेवन नहीं करने का शपथ पत्र भरवाया गया है. साथ ही 7 लाख दीवारों पर जन-जागरण अभियान के तहत शराब सेवन के खिलाफ नारे लिखवाने के दावे किए गए हैं.

बिहार विधानसभा में सभी विधायकों ने एक सुर में शराब का सेवन नहीं करने का संकल्प लिया. ताकि जनता को ये मैसेज जाए कि अब कानून नेता से लेकर जनता तक के लिए एक है.

 

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