बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि राज्य में मछुआरों के विकास के लिये चलायी जा रही विभिन्न योजनाओं के अनुश्र्रवण के लिये मछुआरा आयोग का गठन किया जाएगा.
बुधवार को मछुआरा दिवस के अवसर पर पटना के सिंचाई भवन स्थित अधिवेशन भवन में आयोजित एक संगोष्ठी का उदघाटन करते हुये नीतीश ने कहा कि राज्य में मछुआरों के विकास के लिये चलायी जा रही विभिन्न योजनाओं के अनुश्र्रवण के लिये मछुआरा आयोग का गठन किया जाएगा.
उन्होंने कहा कि राज्य में खादय सुरक्षा बिना जल के पूरी नहीं हो सकती है. मछुआरों का जीवन कठिन है. मत्स्य पालन को कृषि का दर्जा दिलाये जाने के वे हिमायती हैं. मत्स्य पालन को कृषि का अविभाज्य अंग मानते हैं. मछुआरों के विकास के बिना मत्स्य पालन का विकास नहीं हो सकता है.
राज्य के तमाम मत्स्यजीवियों को अपनी शुभकामनाएं देते हुए नीतीश ने कहा कि बिहार में मछली उत्पादन की अपार संभावनाएं हैं और मत्स्य पालन एवं कृषि के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण सुझाव एवं मांग पत्र प्राप्त हुए हैं.
उन्होंने कहा कि पहले वैज्ञानिक एवं आधुनिक तरीके से मत्स्य पालन नहीं हो रहा था और मत्स्य पालन के लिए वातावरण बनाये जाने के लिए यह जरुरी है कि ठीक ढंग से मछली पालन का प्रशिक्षण मत्स्य पालकों को दिया जाय. मत्स्य पालन के प्रशिक्षण के लिए राज्य के किसानों को प्रशिक्षण के लिए दूसरे राज्यों में भेजा गया है और उन्हें प्रशिक्षण दिलाया गया है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि 2008 में कृषि रोड मैप बनाकर दो लाख टन मछली उत्पादन के लक्ष्य को बढाकर दोगुना किया गया है.
उन्होंने कहा कि वर्ष 2012-17 के लिए मत्स्य पालन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कई नई योजनाएं बनायी गयी है. तालाबों के विकास उनकी उडाही मनरेगा के माध्यम से किया जा सकता है. पुराने तालाबों के जीर्णोद्धार पर पचास प्रतिशत की सब्सिडी मिलेगी.