बिहार में लंबे समय से जारी नाटकीय सियासी घटनाक्रम शुक्रवार को संभवत: अपने अंत पर पहुंच गया. सदन में विश्वास मत पेश होने से ठीक पहले मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने हार मान ली और राज्यपाल से मिलकर अपना इस्तीफा सौंप दिया. अब जेडीयू विधायक दल के नेता नीतीश कुमार बिहार के अगले मुख्यमंत्री बन सकते हैं.
हालांकि वोटिंग से एक दिन पहले बीजेपी ने मांझी के पक्ष में वोटिंग के लिए अपने विधायकों को व्हिप जारी कर दिया था. मांझी ने स्पीकर से गुप्त मतदान कराने की मांग की थी. लेकिन वह संभवत: जरूरी संख्या बल नहीं जुटा पाए. शुक्रवार सुबह उन्होंने राज्यपाल से मुलाकात की और चौंकाने वाले घटनाक्रम में इस्तीफा सौंप दिया. राज्यपाल ने उनका इस्तीफा मंजूर कर लिया और नई सरकार बनने तक उन्हें कार्यभार संभालने को कहा.
Patna: Bihar CM Jitan Ram Manjhi reaches Bihar Governor's House pic.twitter.com/pq9X3GUVm4
— ANI (@ANI_news) February 20, 2015
पहले ही देना था इस्तीफा: नीतीशगौरतलब है कि बिहार विधानसभा का सत्र शुक्रवार से शुरू हो रहा था. सुबह 11 बजे सदन की कार्यवाही शुरू होनी थी. लेकिन अब मांझी के इस्तीफे के बाद विश्वास मत पेश करने की कोई जरूरत नहीं रह गई है, लिहाजा आज सदन की कार्यवाही स्थगित हो जाने के ही आसार हैं. इससे पहले भारी गहमागहमी के आसार को देखते हुए सदन के बाहर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे. विधानसभा के बाहर 1000 जवान, 40 एंबुलेंस, 8 डॉक्टरों की यूनिट और 30 दंडाधिकारी और फायर ब्रिगेड की टीमें तैनात की गई थीं. आस-पास के चार अस्पतालों को अलर्ट पर रखा गया था और राजधानी पटना में भी हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया था.
Patna: JDU MLAs in support of Nitish Kumar, protest outside Bihar Assembly pic.twitter.com/UMUWZOAPoW
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मांझी के खिलाफ फाइनल जंग से पहले गुरुवार को नीतीश के घर गुरुवार को डिनर टेबल सजी. इस डिनर पार्टी में 98 विधायकों ने हिस्सा लिया.
मांझी समर्थकों के संख्या बल पर था सस्पेंस
गौरतलब है कि मांझी के पक्ष में विधायकों की संख्या को लेकर आखिरी मौके तक सस्पेंस बना हुआ था. हालांकि नीतीश खेमा 130 विधायकों के समर्थन का दावा कर रहा था. 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा में 10 सीटें रिक्त हैं. बहुमत साबित करने के लिए कुल 117 विधायकों की संख्या जरूरी है. मौजूदा समय में विधानसभा में जेडीयू के 111, बीजेपी के 87, कांग्रेस के पांच, आरजेडी के 24, निर्दलीय पांच और सीपीएम के एक सदस्य हैं.
मांझी के पक्ष में वोट डालने वाली थी BJP
इससे पहले दोनों सदनों में जेडीयू को प्रमुख विपक्षी दल के रूप में मान्यता मिल गई थी. बीजेपी नेता और प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा, 'बीजेपी मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी का साथ देगी और शुक्रवार को अगर विश्वास मत आता है तो उनके पक्ष में मतदान करेगी.' पार्टी ने सदन में शक्ति परीक्षण के दौरान मांझी का समर्थन करने के लिए अपने विधायकों को व्हिप जारी किया था. इस बारे में सुशील कुमार मोदी ने कहा कि यह नीतीश कुमार द्वारा एक महादलित का अपमान किए जाने का बदला लेने पर केंद्रित है. उन्होंने स्पष्ट किया कि बीजेपी सत्ता में हिस्सेदारी नहीं करेगी और न ही सरकार में शामिल होगी. पार्टी ने सदन में गुप्त मतदान करवाने की मांग भी की है.
विजय चौधरी बने नेता विपक्ष
इससे पहले दिन में विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने जेडीयू का आग्रह स्वीकार कर लिया और शुक्रवार को इसे विपक्षी दीर्घा में बैठने की अनुमति दे दी. उन्होंने विजय चौधरी को बीजेपी के नंद किशोर यादव की जगह नेता विपक्ष का भी दर्जा दे दिया. इस पर बीजेपी ने तीखी प्रतिक्रिया की और विधानसभा के प्रवेश द्वार के सामने धरने पर बैठ गई.
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा, 'विधानसभा सचिवालय को संख्याबल के हिसाब से काम करना होता है और चूंकि जेडीयू ने मुख्य विपक्षी दल का दर्जा मांगा था, हमारे पास इस संख्या पर विचार करते हुए इनकार करने का कोई कारण नहीं था.' शरद यादव द्वारा जेडीयू से निकाले जाने के बाद मांझी को विधानसभा में असंबद्ध सदस्य घोषित किया गया है.
इसके कुछ घंटे बाद ही जेडीयू को विधान परिषद में भी प्रमुख विपक्षी दल के रूप में मान्यता मिल गई. सभापति अवधेश नारायण सिंह ने विधान परिषद में नीतीश कुमार को सुशील कुमार मोदी की जगह नेता विपक्ष के रूप में मान्यता दे दी. मांझी के लिए बुरी खबर यह आई कि पटना हाईकोर्ट ने उनसे जुड़े चार विधायकों को सदन में परीक्षण के दौरान मतदान की अनुमति देने से इनकार कर दिया. इसने मंत्री विजय बिहारी की याचिका भी खारिज कर दी, जिसमें अध्यक्ष चौधरी को विश्वास मत से दूर रखने का आग्रह किया गया था.
जेडीयू ने लगाया खरीद-फरोख्त का आरोप
इन सब के बीच जेडीयू ने मांझी खेमे पर विधायकों के खरीद-फरोख्त करने का न केवल आरोप लगाया, बल्कि सबूत के तौर पर एक ऑडियो भी जारी किया. जेडीयू विधायक शरफुद्दीन ने आरोप लगाया कि मांझी का समर्थन करने के लिए सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव की ओर से उन्हें पद और पैसों का लालच दिया गया. शरफुद्दीन ने पप्पू यादव से हुई बातचीत की रिकॉर्डिंग पत्रकारों को सुनाई.
शिवहर के विधायक ने कहा कि पप्पू यादव ने अपने ही मोबाइल पर उन्हें मांझी से भी बात करवाई. मांझी ने कहा, 'जल्द आइए, आपको बड़ा पद मिलने वाला है.' शिवहर विधायक ने मीडिया से कहा कि मांझी खेमे के लोगों ने समर्थन लेने के लिए उन्हें कई बार फोन किया गया है. जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि विधायकों को पैसों और पदों का लालच देकर खरीदने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने दावा किया कि मांझी की सरकार मात्र 12 विधायकों के समर्थन से चल रही है. उन्होंने राज्य के मौजूदा हालत के लिए बीजेपी को जिम्मेदार ठहराया.