बिजली तो बिजली होती है लेकिन बिहार के इस गांव के लोगों को कौन समझाए? यहां के धरनई गांव में राज्य सरकार के प्रयासों से 33 साल बाद बिजली तो आ गई लेकिन गांव वाले जरा भी खुश नहीं है.
कारण यह है कि यहां बिजली सौर ऊर्जा के जरिये लाई गई है. वहां सौर ऊर्जा का माइक्रो ग्रिड लगाया गया है और उससे पूरे गांव के घरों में बिजली आ रही है, लेकिन गांव वाले खुश नहीं हैं. जब पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार वहां के दौरे पर गए तो गांव वालों ने कहा, हमें नकली नहीं, असली बिजली चाहिए. नीतीश कुमार वहां घरों और सड़कों पर बिजली देखकर खुश हए लेकिन गांव वालों ने उनकी खुशी पर पानी फेर दिया. वहां गांव के लड़के छोटे-छोटे बैनर लेकर घूम रहे थे जिन पर लिखा हुआ था असली बिजली चाहिए, सौर ऊर्जा वाली नकली बिजली नहीं.
हालांकि नीतीश कुमार ने उन्हें समझाने की कोशिश की. उन्होंने बताया कि भविष्य में सौर ऊर्जा ही बिजली का एकमात्र स्रोत रहेगा लेकिन गांव वालों के सामने उन्हें झुकना पड़ा और वे वादा करके गए कि वहां असली बिजली लाएंगे. उन्होंने समारोह स्थल में कहा कि चिंता की कोई बात नहीं है, वह बिजली जिसे आप असली बिजली कहते हैं, कुछ ही दिनों में आपके घरों में आएगी. उन्होंने बिजली विभाग के अधिकारियों से कहा कि वे इस पर काम करें.
धरनई गांव में 3 करोड़ रुपये की लागत से 110 KW माइक्रो ग्रिड लगाया गया है जिससे अनवरत बिजली की आपूर्ति होती है.