हर घर में शौचालय निर्माण के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जहां देशव्यापी स्वच्छ भारत अभियान चला रखा है, वहीं दूसरी ओर बिहार में भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी लोहिया स्वच्छता मिशन के तहत गांव-गांव में शौचालय बनवाने का काम कर रहे हैं. मगर ऐसे में अगर किसी गांव में दर्जनों शौचालय बनाए गए हो और फिर उन्हें ध्वस्त कर दिया जाए तो सवाल उठता है कि आखिर ऐसा क्यों?
दरअसल, ऐसा हुआ है पश्चिम चंपारण जिले के पकड़िया पंचायत के तहत सुंदर पट्टी गांव में. इस गांव में ज्यादातर आबादी दलितों की है. पिछले साल मुख्यमंत्री नीतीश पश्चिम चंपारण जिले के दौरे के दौरान अपनी महत्वकांक्षी सात निश्चय कार्यक्रम के तहत हर गांव में नल का जल और शौचालय बनाने के कार्यक्रम की शुरुआत की थी.
उस वक्त सरकार ने लोगों को आश्वासन दिया कि वह अपने पैसे से अपने घरों में शौचालय का निर्माण करवाएं और बाद में सरकार उन्हें सरकारी मदद के रूप में 12000/- देगी.
फिर क्या था, नीतीश सरकार के इस ऐलान के बाद सुंदर पट्टी गांव में लोगों ने अपने-अपने घरों में शौचालय का निर्माण करवा लिया. हर घर में शौचालय बनाने के लिए लोगों को तकरीबन ₹20,000 खर्च करने पड़े. हर घर में शौचालय के निर्माण के बाद सरकार ने सुंदर पट्टी को पूरी तरीके से खुले में शौच मुक्त गांव घोषित किया.
शौचालय के निर्माण के बाद लोगों को उम्मीद थी कि राज्य सरकार द्वारा घोषित ₹12000 की मदद उन्हें जल्द मिलेगी, मगर ऐसा नहीं हुआ. गांव के लोग पिछले 9 महीनों से मदद राशि के लिए सरकारी दफ्तरों की खाक छान रहे हैं, मगर उनकी सुनने वाला कोई नहीं.
नाराज गांव के लोगों का कहना है कि उन्होंने शौचालय निर्माण के लिए जिन ठेकेदारों से बालू, सीमेंट और ईट उधार पर लिया था वह अपने पैसे के लिए लगातार गांव वालों को परेशान कर रहे हैं. मगर इसके बावजूद भी सरकारी मदद उन्हें नहीं मिल रही है.
इस घटनाक्रम से नाराज शनिवार को सुंदर पट्टी गांव के लोगों ने अपने-अपने घर में बने शौचालय को ध्वस्त करना शुरू कर दिया. कुछ ही मिनटों में गांव वालों ने तकरीबन एक दर्जन से भी ज्यादा शौचालय जिन का निर्माण कराया गया था, उन्हें तोड़ दिया. इस दौरान लोग बिहार सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते रहे.