आगामी लोकसभा चुनावों को देखते हुए केंद्र सरकार अब नीतीश कुमार पर डोरे डालने में जुट गई है. इसका ताजा उदाहरण शनिवार को देखने को मिला जब बिहार के एक दिवसीय दौरे पर आए केंद्रीय वित्त मंत्री ने विशेष राज्य का दर्जा देने के निर्धारित मानकों में परिवर्तन करने की बात कही.
चिदंबरम ने कहा कि विशेष राज्य का दर्जा देने के निर्धारित मानकों में परिवर्तन की जा रही है. इस संबंध में अध्ययन के लिए मुख्य आर्थिक सलाहकार की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया जाएगा. उन्होंने कहा कि प्रस्तावित अंतर्राष्ट्रीय नालंदा विश्वविद्यालय को अगले 10 वर्ष के अंदर 2154 करोड़ रुपये मिलेंगे.
चिदंबरम ने पटना में पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के अवशेषों और खंडहरों को विश्व धरोहर घोषित कराने के लिए केंद्र सरकार हर संभव प्रयास करेगी. उन्होंने आश्वासन दिया कि वे खुद इस मामले पर संस्कृति मंत्रालय से बात करेंगे तथा नालंदा विश्वविद्यालय के भग्नावशेषों के बेहतर रखरखाव के लिए भारतीय पुरातत्व विभाग को आर्थिक सहायता के साथ जरूरी संसाधन मुहैया कराया जाएगा.
उन्होंने कहा कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने के मानकों के अध्ययन के लिए अगले दो-तीन दिनों में एक समिति का गठन किया जाएगा, जो एक महीने के अंदर केंद्र सरकार को रिपोर्ट देगी.
उन्होंने कहा कि समिति को पहले मानकों के अलावे उन बिंदुओं पर भी विचार करना होगा, जो पिछड़ेपन के कारणों को भी पुष्ट करता है. उन्होंने संभावना जताई कि ये मानक बिहार के पक्ष में जा सकते हैं.
पत्रकारों द्वारा बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिलने के प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि जब तक समिति की रिपोर्ट नहीं आ जाती है, तब तक कुछ कहना जल्दबाजी होगी.
इसके पूर्व चिदंबरम के पटना हवाईअड्डे पर पहुंचने पर मुख्यमंत्री ने उनका स्वागत किया. इसके बाद मुख्यमंत्री के साथ सीधे नालंदा के लिए रवाना हो गए, जहां प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के खंडहरों और अवशेषों का अवलोकन किया और इस संबंध में कई जानकारियां लीं.
मंत्री ने प्रस्तावित अंतर्राष्ट्रीय नालंदा विश्वविद्यालय की प्रगति की समीक्षा की. चिदंबरम ने राजगीर के अंतर्राष्ट्रीय कन्वेंशन सेंटर में राज्यस्तरीय बैंकर्स समिति की बैठक में भी भाग लिया. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी उनके साथ थे. नालंदा से वे पटना लौट आए, जहां से वे दिल्ली रवाना हो गए.