रेल मंत्री ने रेल बजट के दौरान 'प्रभु' यानी ईश्वर का नाम लिया और कहा कि हे प्रभु! ये कैसे होगा . दिल्ली से दूर बिहार के मुजफ्फरपुर जंक्शन पर एक मां भी यही कह रही थी, क्योंकि वह 'प्रभु' यानी भगवान भरोसे छोड़ दी गई थी. उस मां की गलती सिर्फ इतनी थी कि वह गर्भ से थी और उसने रेल यात्रा के दौरान बच्चे को जन्म दिया. यह उसका अपराध ही था, क्योंकि उसे जान लेना चाहिए था कि रेलवे प्रशासन न तो उसके हालात की कोई कद्र करता है और न ही रेलवे को उसके बच्चे की ही कोई फिक्र है. मां की कोख भगवान भरोसे थी, लेकिन 'प्रभु' भरोसे उसका बच्चा जन्म के कुछ घंटों बाद ही मर गया.
यह घटना मुजफ्फरपुर जंक्शन पर रेल बजट पेश होने के ठीक पहले की है. बैजू राय अपनी गर्भवती पत्नी सविता के साथ भटिंडा से समस्तीपुर के सफर पर था. अवध-असम एक्सप्रेस पर दोनों जब सवार हुए तो मन में होने वाले बच्चे के सपने थे. रेल यात्रा के दौरान बैजू अपनी पत्नी का भरसक ख्याल रख रहा था. दोनों एक दूसरे को देखकर अनायास मुस्कुरा भी रहे थे. जाहिर तौर पर यह सब भविष्य के उस नन्हीं मुस्कान की आहट का नतीजा था. लेकिन क्या पता था यह रेल यात्रा उनके जीवन में दुखों का अंबार लेकर आएगी.
ऐसे रेल प्रशासन का क्या करेगा देश
बैजू और सविता के साथ जो कुछ हुआ उसे शब्दों में बयां कर पाना शायद मुश्किल है, लेकिन यह घटना रेल प्रशासन के लिए शर्मसार करने वाली है. क्योंकि पहले टिकट की मारामारी के बीच दोनों वेटिंग टिकट लेकर स्लीपर कोच में सवार हुए. बाद में जब हाजीपुर के बाद सविता को प्रसव पीड़ा हुई तो ट्रेन में मेडिकल सुविधा को लेकर प्रशासन ने हाथ खड़े कर दिए. ऐसे में अन्य महिला सहयात्रियों की मदद से ही तुर्की के निकट सविता ने बेटे को जन्म दिया. जिंदगी और गाड़ी अपने रफ्तार पर थी, लेकिन इस बीच सविता और बच्चे की हालत बिगड़ने लगी. ट्रेन मुजफ्फरपुर पहुंची तो जच्चा और बच्चा दोनों का तड़प-तड़प कर बुरा हाल था. मुजफ्फरपुर जंक्शन पर स्टेशन प्रशासन से संपर्क किया गया तो एक बार फिर मेडिकल सुविधा के नाम पर दिलासा के अलावा कुछ हाथ नहीं लगा.
इतना ही नहीं, बच्चे के पिता और सहयात्रियों ने स्टेशन मास्टर और अधीक्षक से संपर्क किया, समस्या की गंभीरता जानने के बावजूद किसी ने कोई नोटिस नहीं लिया. मिली जानकारी के मुताबिक, इससे पहले कि हर ओर से निराश बैजू कुछ और सोच पाता. नवजात ने दम तोड़ दिया. जन्म की खुशी मेडिकल सुविधा के अभाव में पहले ही आसूंओं में बदल चुकी थी, लेकिन अब चीख के आगे कुछ सुनाई नहीं दे रहा था. बाद में बच्चे की मौत की खबर पाने के बाद आरपीएफ ने सविता को ट्रेन से नीचे उतारा और फिर उसे सादर अस्पताल पहुंचाया गया. बताया जाता है कि सविता की हालत अब ठीक है, लेकिन उसके आंसू सूख चुके हैं.