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तेजस्वी की बर्खास्तगी की बजाय नीतीश ने खुद क्यों दिया इस्तीफा? ये था कारण

नीतीश आरजेडी को पीड़ित बनने का मौका देने के बजाय खुद को त्यागी दिखाना ज्यादा फायदे का सौदा समझते थे, इसीलिए उन्होंने सबको चौंकाते हुए अपने इस्तीफे का दांव चला.

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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार

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शाम छह बजे मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा और सुबह 10 बजे फिर से सीएम पद की शपथ. नीतीश कुमार ने महज 16 घंटे में पहले इस्तीफे और फिर शपथ लेकर जो रिकॉर्ड बनाया है वैसा उदाहरण भारतीय राजनीति में दूसरा नहीं दिखता.

बिहार के इस राजनीतिक घटनाक्रम से सवाल उठ रहे हैं कि अगर नीतीश को जेडीयू से नाता तोड़कर बीजेपी से हाथ मिलाना ही था, तो उन्होंने खुद इस्तीफा क्यों दिया जबकि उनके पास तेजस्वी यादव को बर्खास्त करने का ज्यादा आसान विकल्प था? दरअसल इसके पीछे भी एक बड़ा राजनीतिक संदेश छिपा है. नीतीश आरजेडी को पीड़ित बनने का मौका देने के बजाय खुद को त्यागी दिखाना ज्यादा फायदे का सौदा समझते थे, इसीलिए उन्होंने सबको चौंकाते हुए अपने इस्तीफे का दांव चला.

तेजस्वी का इस्तीफा या बर्खास्तगी का था इंतजार

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करप्शन के आरोपों में घिरे उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पर जब जेडीयू और नीतीश ने कड़ा रुख अख्तियार किया तो ये साफ हो गया था कि या तो तेजस्वी यादव खुद इस्तीफा देंगे या फिर नीतीश उन्हें बर्खास्त करेंगे. बुधवार की शाम को जब जेडीयू ने अपने विधायक दल की बैठक बुलाई तब सबको इसी खबर का इंतजार था कि नीतीश ने तेजस्वी को बर्खास्त कर दिया. लेकिन नीतीश ने सबको चौंकाते हुए खुद ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया.

नीतीश चाहते तो बिना इस्तीफा दिए भी बच जाती सरकार

राजनीतिक जानकारों के मुताबिक नीतीश जब आरजेडी से अलग होने का फैसला कर चुके थे तो उनके सामने दो विकल्प थे या तो वो तेजस्वी को बर्खास्त करते या फिर खुद इस्तीफा देते. दोनों ही स्थितियों में उन्हें बीजेपी का समर्थन मिलता और सरकार बची रहती. तेजस्वी की बर्खास्तगी के बाद आरजेडी अगर समर्थन वापस लेती तो सदन में बीजेपी का समर्थन हासिल कर नीतीश विश्वास मत हासिल कर सकते थे. ऐसे में उन्हें न तो इस्तीफा देना होता और न ही फिर से शपथ ग्रहण की जरूरत पड़ती लेकिन इसके बावजूद उन्होंने दूसरा विकल्प चुना क्योंकि इसके दो राजनीतिक फायदे थे.

तेजस्वी को नहीं दिया विक्टिम बनने का मौका

नीतीश ने तेजस्वी को बर्खास्त कर उन्हें विक्टिम बनने का मौका नहीं दिया. क्योंकि इससे तेजस्वी राज्य में सहानुभूति बटोर सकते थे और उनका राजनीतिक कद भी इससे बढ़ सकता था. लालू यादव और उनके परिवार को भी जब नीतीश के इस मुद्दे पर अड़े रहने का अहसास हो गया तो उन्होंने भी तेजस्वी से इस्तीफा न दिलवाने की बात कही ताकि मजबूरन नीतीश को उन्हें बर्खास्त करना पड़े और आरजेडी इसका राजनीतिक फायदा उठा पाए लेकिन नीतीश ने अपने दांव से लालू को हैरान कर दिया.

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नीतीश ने बढ़ा लिया अपना कद

तेजस्वी को बर्खास्त करने की बजाय जब नीतीश खुद इस्तीफा देने राजभवन पहुंच गए तो उन्होंने एक बड़ा राजनीतिक संदेश देने में कामयाबी हासिल की कि वो करप्शन से समझौता नहीं करेंगे भले ही इसके लिए उन्हें अपनी कुर्सी छोड़नी पड़े. नीतीश ने राजभवन के बाहर आकर जो बयान दिया वो भी उनके राजनीतिक एजेंडे के बारे में बहुत कुछ कह जाता है. रही सही कसर खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उन ट्वीट्स ने कर दी जिसमें उन्होंने नीतीश को उनके इस्तीफे के लिए बधाई दी.

 

 

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