बिहार में भारतीय जनता पार्टी और उसके सहयोगी दलों जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) और लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के बीच सीटों का बंटवारा हो गया है. रविवार को बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि उनकी पार्टी 17, नीतीश कुमार की जेडीयू भी 17 और रामविलास पासवान की एलजेपी 6 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. अगर पिछले चुनाव की बात की जाए तो बीजेपी नुकसान में नजर आ रही है. 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी 29 और एलजेपी 7 सीटों पर चुनाव लड़ी थी. इसमें से बीजेपी ने 22 और एलजेपी ने 6 सीटों पर जीत दर्ज की थी. जबकि जेडीयू एनडीए से अलग 38 सीटों पर लड़ी थी और वह सिर्फ 2 ही सीट जीत पाई थी. ऐसे में अब सवाल उठ रहे हैं कि दो सांसदों वाली जेडीयू का 22 सांसदों वाली बीजेपी के बराबर सीटों पर चुनाव लड़ना किसकी कमजोरी और मजबूती को दिखाता है?
ऐसा सवाल पर बिहार में नेता विपक्ष और राष्ट्रीय जनता दल के विधायक तेजस्वी यादव ने भी उठाया है, लेकिन उन्होंने इससे आगे बढ़ते हुए पूरे एनडीए को ही कमजोर बताया है. तेजस्वी ने 2019 लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के गठबंधन की हालत पतली बताते हुए लिखा, 'जनादेश चोरी के बाद भी BJP बिहार में इतनी मज़बूत हुई कि 22 वर्तमान सांसद होने के बावजूद 17 सीट पर चुनाव लड़ेगी और 2 MP वाले नीतीश जी भी 17 सीट पर लड़ेंगे. अब समझ जाइये NDA के कितने पतले हालात हैं.'
तेजस्वी के इस आकलन के अलावा सीट फॉर्मूले से दूसरी तस्वीर यह भी उभरी है कि बीजेपी को 2014 की तुलना में बड़ा नुकसान हुआ है. जबकि रामविलास पासवान अपना पुराना रुतबा बरकरार में कामयाब रहे हैं.
LJP और JDU को 2 साल बाद प्रधानमंत्री मोदी से नोटबंदी पर सवाल पूछने का फ़ायदा मिला। 😊
जनादेश चोरी के बाद भी BJP बिहार में इतनी मज़बूत हुई कि 22 वर्तमान सांसद होने के बावजूद 17 सीट पर चुनाव लड़ेगी और 2 MP वाले नीतीश जी भी 17 सीट पर लड़ेंगे। अब समझ जाइये NDA के कितने पतले हालात है
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) December 23, 2018
तेजस्वी के बाद एनडीए से अलग होकर महागठबंधन में शामिल होने वाले रालोसपा अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने भी सीट बंटवारे पर चुटकी ली. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा , 'नीतीश जी की गीदड़ भभकी के सामने नतमस्तक हुए छत्तीस इंच वाले...! थाली छीनने वाले ने छीन ली सीटींग सीट...! मगर जनता तैयार बैठी है बच्चों के हाथ से किताब छीनने वालों का हिसाब लेने के लिए ।'
2014 में 28 सीटों पर जीता था बीजेपी-एलजेपी गठबंधन
40 लोकसभा सीट वाले बिहार में बीजेपी ने 2014 के दौरान 29 सीटों पर लड़ते हुए 22 पर जीत दर्ज की थी. बीजेपी ने आरा, उजियारपुर, औरंगाबाद, गया, गोपालगंज, झंझारपुर, दरभंगा, नवादा, पटना साहिब, पश्चिम चम्पारण, पाटलिपुत्र, पूर्वी चम्पारण, बक्सर, बेगूसराय, मधुबनी, महाराजगंज, मुजफ्फरपुर, बाल्मीकिनगर, शिवहर, सारण, सासाराम, सीवान सीट पर जीत दर्ज की थी. वहीं, एलजेपी ने खगड़िया, जमुई, मुंगेर, वैशाली, समस्तीपुर और हाजीपुर सीट पर जीत दर्ज की थी.
सिर्फ 2 सीटों पर जीती थी जेडीयू
2014 में आम चुनाव से पहले जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार ने बीजेपी का साथ छोड़ दिया था. उन्हें नरेंद्र मोदी की अगुवाई में चुनाव लड़ने में आपत्ति थी. इसके बाद जेडीयू ने 38 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे, लेकिन नालन्दा और पूर्णिया सीट को छोड़कर बाकी सारे प्रत्याशी हार गए.
इस बार इन 17 सीटों पर लड़ सकती है बीजेपी
सीट बंटवारे के ऐलान के बाद बीजेपी 17 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. यह सीटें शिवहर, गोपालगंज, सारण, गया, भागलपुर, बक्सर, सिवान, मुज़फ़्फ़रपुर, पश्चिम चम्पारण, पूर्वी चम्पारण, मधुबनी, अररिया, उजियारपुर, नवादा, पटना साहिब, पाटलिपुत्र और सासाराम हो सकती हैं. वहीं, एलजेपी अपनी जीती हुई सीटों पर यानि खगड़िया, जमुई, मुंगेर, वैशाली, समस्तीपुर और हाजीपुर से चुनाव लड़ सकती है.
भले ही बीजेपी 2014 की तुलना में कम सीटों पर 2019 में चुनाव लड़ने जा रही हो, लेकिन बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने सीटों का ऐलान करते हुए दावा किया है कि आगामी चुनाव में एनडीए को पिछले चुनाव से भी ज्यादा सीटें मिलेंगी. वहीं, राज्य की सत्ता संभाल रहे जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार ने उनसे भी आगे बढ़ते हुए 2009 के चुनाव से भी बेहतर प्रदर्शन का भरोसा जताया.