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बिहार में कार्टून पोस्टर के जरिए नीतीश को जवाब दे रही है बीजेपी

एक शेर है- ‘दुश्मनी जमकर करो पर इतनी गुंजाइश रहे कि जब कभी दोस्ती हो तो शर्मिंदगी ना हो.’ लेकिन बरसों साथ रहे बीजेपी और जेडीयू में दुश्मनी इतनी गहरी हो गई है कि राजनीति में दोनों पार्टियां अब एक-दूसरे को नीचा दिखाने में शर्मिंदगी की लक्ष्मण रेखा भी लांघ रहे हैं. मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी के रिपोर्ट कार्ड के जबाब में जब बीजेपी ने रिपोर्ट कार्ड जारी किया तो उस रिपोर्ट कार्ड पर छपा कार्टून दोनों दलों में दुश्मनी की नई लक्ष्मण रेखा खींच गया.

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बीजेपी ने छेड़ा कार्टूनवार
बीजेपी ने छेड़ा कार्टूनवार

एक शेर है- ‘दुश्मनी जमकर करो पर इतनी गुंजाइश रहे कि जब कभी दोस्ती हो तो शर्मिंदगी ना हो.’ लेकिन बरसों साथ रहे बीजेपी और जेडीयू में दुश्मनी इतनी गहरी हो गई है कि राजनीति में दोनों पार्टियां अब एक-दूसरे को नीचा दिखाने में शर्मिंदगी की लक्ष्मण रेखा भी लांघ रहे हैं.

मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी के रिपोर्ट कार्ड के जबाब में जब बीजेपी ने रिपोर्ट कार्ड जारी किया तो उस रिपोर्ट कार्ड पर छपा कार्टून दोनों दलों में दुश्मनी की नई लक्ष्मण रेखा खींच गया. आरजेडी प्रमुख लालू यादव का पैर पकड़े नीतीश के कार्टून ने बिहार की सियासत को गरमा दिया है.

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कार्टून पूरे बिहार में चर्चा का विषय बना हुआ है और यह सीधे-सीधे नीतीश कुमार को चिढ़ाने के लिए काफी है. शायद बीजेपी चाहती भी यही है. लेकिन बीजेपी यहीं तक नहीं रुकने वाली, वह तो बकायदा इस कार्टून को अब हर शहर-गांव, चौक-चौराहों और गली-मोहल्लों पर टांगने की तैयारी में जुटी हुई है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मंगल पांडे का कहना है, ‘हमने तो सच्चाई कार्टून के माध्यम से लोगों के सामने रख दी है, अब जनता चाहेगी तो कल से इसे चौक-चौराहों पर भी टांगेगी.

दरअसल पर्दे के पीछे की कहानी ये है कि पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमलावर अंदाज जारी है. अपनी संपर्क यात्रा में नीतीश कुमार, मोदी के कालेधन पर दिए गए चुनावी भाषण की ऑडियों सीडी और ‘मन की बात’ के ऑडियो सुनाकर मोदी पर हमला कर रहे हैं.

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यही नहीं नीतीश बीजेपी को उसके नाम के बजाए ‘कनफूंकवा पार्टी’ के नाम से बुला रहे हैं और नीतीश का यहीं अंदाज बीजेपी को चुभ रहा है. इसी के जबाब में बीजेपी ने भी सीधे-नीतीश को निशाने पर लिया है और वह भी राजनीतिक मर्यादा को ताक पर रखकर.

बहरहाल बीजेपी के इस कार्टून को विपक्ष जहां निचले दर्जे की सियासत बताने में जुटा है, वहीं बीजेपी इसे अपना ट्रंफकार्ड मान रही है. पार्टी अब नीतीश के जवाब में न सिर्फ इन पोस्टरों को टांगेगी, बल्कि लालू यादव के उस भाषण के अंश भी सुनाएगी जिसमें लालू ने विधानसभा उपचुनावों में नीतीश को अपने पैरों में गिराने की बात कही थी, ताकि अपने कार्टून को सच्चाई से जोड़ सकें. साफ है ऐसे में भले ही राजनीति का स्तर गिरे पर दोनों दल एक-दूसरे को नीचा दिखाने का कोई मौका नहीं छोड़ेंगे.

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