बिहार में राजनीति किसी भी चीज पर हो सकती है. चाहे वो मछली ही क्यों न हो. आंन्ध्र प्रदेश से आने वाली मछलियों में कैसर के तत्व पाए जाने के कारण सरकार ने पटना में इस पर प्रतिबंध क्या लगाया, पूरे प्रदेश में इसका विरोध होने लगा. बिहार सरकार ने स्वास्थ्य के लिहाज से ये कदम उठाएं, लेकिन मछलियों का कारोबार करने वाले लोगों और उनकी निषाद जाति को यह बिल्कुल रास नहीं आया.
इस बैन का तरह-तरह से विरोध किया जा रहा है. अब इस विरोध में सत्ताधारी गठबंधन के विधायक भी शामिल होने लगे है, क्योंकि उन्हें स्वास्थ्य की चिंता कम अपने वोटों की चिंता ज्यादा है. ऐसा ही एक विरोध हाजीपुर में देखने को मिला, जब वहां के स्थानीय बीजेपी विधायक अवधेश सिंह ने पूरी की पूरी थाली फिश फ्राई की खा ली. उसके बाद भी उनका मन नहीं भरा तो चावल के साथ भी चटखारे ले कर खाते और जनता को इसे खाने के लिए प्रेरित भी करते रहे.
मछली पर इसलिए लगाया गया बैन
एनडीए की नीतीश कुमार सरकार ने आंध्रा की मछली पर बैन लगाया, क्योंकि इसको ताजा रखने के लिए जिस रसायन का इस्तेमाल होता है, उससे कैंसर जैसी बीमारी हो सकती हैं, क्योंकि इसमें खतरनाक फार्मलीन की मात्रा हैं, लेकिन विधायक जी का कहना है कि नहीं पता किस आधार पर सरकार ने बैन किया है, मछली खाया है और आगे भी खाएंगे.
बैन के विरोध में हाजीपुर में महाभोज
मछली पर बैन के खिलाफ ही हाजीपुर में मछली व्यवसाई संघ की तरफ से मछली महाभोज का आयोजन हुआ. आयोजन में स्थानीय विधायक के साथ सभी पार्टियों के नेताओ को बुलाया गया. मंच तैयार हुआ और उस पर मछलियों को एक कतार में सजाया गया और सामने नेता एक कतार में बैठे. सामने लोगों की भीड़ थी और सरकार के दावे को झूठा साबित करने के लिए किट से मछली की जांच की गई.
बीजेपी विधायक समेत कई पार्टियों ने की फिश पार्टी
जांच के बाद दावा किया गया कि मछली में कोई खतरनाक केमिकल नहीं है. उसके बाद चूल्हे सजे और मछलिओं को फ्राई किया गया. मंच पर बैठे बीजेपी विधायक और अन्य पार्टियों के स्थानीय नेताओं ने फिश पार्टी की. मजेदार बात ये की बिहार में एनडीए की सरकार है, सरकार ने आंधप्रदेश की जिस मछली को बैन किया, उनके ही विधायक फिश पार्टी कर कानून का विरोध करते दिखे.