बीजेपी के पीएम उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के पिता चाय बेचते थे. मोदी ने खुद भी बचपन में चाय बेचने का काम किया है. लेकिन चुनावी मौसम में जब मोदी इसका जिक्र अपने भाषणों में कुछ ज्यादा ही करने लगे हैं, बिहार बीजेपी के नेताओं ने इसे भुनाने की कसरत भी शुरू कर दी है.
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पटना में बीजेपी कार्यकर्ताओं ने चाय के 20-25 स्टॉल लगाए हैं, जिन पर नरेंद्र मोदी की तस्वीर चस्पा है.
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बीजेपी को लगता है कि नरेंद्र मोदी की जाति के लोग बिहार में भी बड़े पैमाने पर चाय बेचने के काम में लगे हुए हैं. इसलिए मोदी के इतिहास का जोर-शोर से प्रचार कर बीजेपी पिछड़ी जातियों और निम्न आर्थिक स्थिति के वोटरों को आकर्षित करना चाहती है. माना जाता है कि इस वर्ग के वोटरों में फिलहाल नीतीश कुमार ज्यादा लोकप्रिय हैं.
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याद रहे कि मोदी को बीजेपी प्रचार अभियान समिति का मुखिया बनाए जाने के बाद ही नीतीश की पार्टी जेडीयू ने बीजेपी से गठबंधन तोड़ लिया था.
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RSS कार्यकर्ताओं को चाय पिलाते थे मोदी
नरेंद्र मोदी शुरू से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की शाखाओं में जाते थे. लेकिन जब उन्होंने चाय बेचना शुरू कर दिया तो उनका शाखा में जाना लगभग बंद हो गया. लेकिन शाखा से लौटते लोग उनकी दुकान पर चाय पीने जरूर आते थे. इस दौरान मोदी की उनसे खूब बात होती थी.
आरएसएस के लोगों पर मोदी की बोलने की शैली का खूब असर पड़ता था. एक दिन वहां गुजरात आरएसएस के पहले प्रांत प्रचारक लक्ष्मण राव इनामदार ने भी चाय पी. उन्होंने नरेंद्र मोदी को दोबारा शाखाओं से जुड़ने की सलाह दी. कुछ दिनों बाद मोदी ने अपनी चाय की दुकान समेटी और आरएसएस के साथ पूरी तरह से जुड़ गए.