गुजरात दंगों का बदला लेने के लिए पटना के गांधी मैदान पर नरेंद्र मोदी की रैली में पिछले साल ब्लास्ट कराया गया था. नेशनल इनवेस्टीगेशन एजेंसी (एनआईए) ने खुलासा किया कि आतंकी मोदी को मारने की सोची समझी साजिश करके पटना पहुंचे थे.
एनआईए के मुताबिक गुजरात दंगों का बदला लेने के मकसद से आतंकी बंदूक, सुसाइड बॉम्बर के साथ पूरी तैयारी से आए थे. आतंकी सीरियल ब्लास्ट भी करना चाहते थे. उस समय मोदी प्रधानमंत्री नहीं बने थे और गुजरात के मुख्यमंत्री थे.
15 दिन पहले एनआईए ने पटना कोर्ट में 36 पेज की चार्जशीट दाखिल की थी. एनआईए के मुताबिक सुसाइड बॉम्बर फिलहाल एजेंसी की निगरानी में है और इस केस का अहम गवाह भी है. कोर्ट में वो सारी सच्चाई उगलेगा. एनआईए ने सुसाइड बॉम्बर की पहचान का खुलासा नहीं किया है. मोदी पर हमला करने के लिए विस्फोटकों से लैस सुसाइड जैकेट बनाई गई थी. इतना ही नहीं मुख्य आरोपी हैदर अली और उमर सिद्दिकी ने एक पेड़ पर इस जैकेट का परीक्षण भी किया था.
एनआईए ने रांची रिंग रोड के सामने रेलवे लाइन के पास उस पेड़ की तस्वीर की फोटो भी चार्जशीट के साथ कोर्ट में पेश की है. चार्जशीट के मुताबिक, 'ये साफ है कि हैदर अली और उसके साथी फिदायीन हमले के जरिए मोदी की हत्या करना चाहते थे.' अली और सिद्दिकी ने पूरा प्लान बनाया था, जिसमें बाद में एक व्यक्ति को शामिल किया जो फिलहाल केस का अहम गवाह है. इस व्यक्ति को सुसाइड बॉम्बर बनाने का प्लान था.
चार्जशीट में कहा गया, 'हालांकि इस पर बहस के बाद सुसाइड बॉम्बर ने अली और सिद्दिकी को बताया कि सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए मोदी को इस प्लान के जरिए मारना मुमकिन नहीं होगा. और उसने दोनों का साथ देने के लिए मना कर दिया.' इस चार्जशीट में साफतौर पर बताया गया कि उसकी जांच के मुताबिक आरोपी मानते हैं कि नरेंद्र मोदी गुजरात में गोधरा दंगों के दोषी थे और साथ ही मुजफ्फरनगर दंगों के पीछे भी बीजेपी का हाथ की बात कही.