बिहार की ज्ञान नगरी बोधगया पर कोरोना महामारी का बेहद बुरा असर पड़ा है. यहां पर्यटकों की संख्या में कमी की वजह से बौद्ध भिक्षुओं की जिंदगी बुरी तरह से प्रभावित हुई है. नौबत यहां तक आ पहुंची है कि बौद्ध भिक्षुओं को खाने के लाले पड़ गए है. हालांकि संकट की इस घड़ी में वियतनाम बौद्ध भिक्षुओं की मदद के लिए आगे आया है.
कोरोना महामारी के कारण 14 महीने से बोधगया में पर्यटक उतनी संख्या में नहीं आ रहे हैं. ऐसे में यहां बौद्ध श्रद्धालुओं के भोजन पर भी असर पड़ा. हालांकि, वियतनाम की मदद से यहां के युवक इन बौद्ध भिक्षुओं को भोजन करा रहे हैं.
दरअसल, कोरोना महामारी के कारण भगवान बुद्ध की ज्ञानस्थली बोधगया में सन्नाटा पसरा हुआ है. अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों के बंद रहने के कारण बोधगया में विदेशी पर्यटकों का आना बंद हो गया है.
हाल ही में जब हालात थोड़े सुधरे और लॉकडाउन हटाया गया तो यहां घरेलू पर्यटकों का आना शुरू हुआ, लेकिन संख्या अभी भी काफी कम है. कई-कई दिनों तक चलने वाले धार्मिक आयोजन भी यहां बंद हैं.
ऐसे में यहां रहने वाले बौद्ध भिक्षुओं के खाने के भी लाले पड़ गए. लेकिन वियतनाम की मदद से भिक्षुओं को भोजन कराया गया है. वियतनाम की ओर से मिल रही आर्थिक मदद से बोधगया के युवक बौद्ध भिक्षुओं को भोजन करा रहे हैं. पिछले 14 महीने से ऐसा ही चल रहा है.
राष्ट्रपति कोविंद बोले- दोनों देशों के आर्थिक संबंध ने दिशा बनाए रखी
वियतनाम का संसदीय प्रतिनिधिमंडल भारत दौरे पर है. वियतनाम की नेशनल असेंबली के अध्यक्ष वुओंग दिन्ह ह्यू के नेतृत्व में आए प्रतिनिधिमंडल ने रविवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की. इसके बाद राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि कोरोना महामारी के बावजूद भारत और वियतनाम के आर्थिक संबंधों ने सकारात्मक दिशा बनाए रखी. राष्ट्रपति कोविंद ने दोनों देशों के बीच बढ़ रहे रक्षा सहयोग पर भी खुशी जताई.