बिहार में शराबबंदी का असर कुछ ऐसे हो रहा है कि शराब के नशे में शादी करने आए दुल्हे को बगैर दुल्हन के लौटना पड़ रहा है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के शराबबंदी कानून को महिलाओं का भरपूर समर्थन प्राप्त है. यही वजह है कि इस साल के लग्न में करीब दर्जन भर ऐसे मामले हुए है जहां शराबबंदी के बावजूद नशे में आए दुल्हे को या तो बगैर शादी के बैरन वापस लौटना पड़ा है या फिर अपमानित होना पड़ा है. यही हाल बारातियों का भी हुआ है.
कई जगहों पर दुल्हों और बारातियों को बंधक बनाया गया क्योंकि वो शराब पीकर आये थे. इन जगहों पर पुलिस तो नहीं थी लेकिन महिलाओं और दुल्हन बनी लड़कियां शराबी दुल्हे को देखकर ऐसा रूप धारण करती हैं कि घरवाले भी उसकी बातों को माने बिना नहीं रहते.
ताजा मामला मुजफ्फपुर के सरैया थाने के गंगौलिया गांव का है जहां विशिष्ट दास की बेटी की शादी पारू थाना के कमलपुरा गांव के रामप्रवेश दास से होने वाली थी. शादी की रात बारात चौखट पर लग चुकी थी हर तरफ खुशियों का माहौल था समय से बारात जनमासे में पहुंची और बारात दरवाजे लगाने की परंपरा की शुरुआत हुई.
डीजे की धुन पर बाराती नाचते-गाते दुल्हन के दरवाजे पर पहुंचे. जयमाल की तैयारी हो रही थी तभी दुल्हन ने दूल्हे को लड़खड़ाते हुए देख लिया. देखते ही देखते दुल्हे के नशेड़ी होने की बात पूरे पंडाल में फैल गया. दुल्हन ने तुरंत साहसिक फैसला लिया और उसने नशेड़ी दुल्हे के साथ शादी करने से इंकार कर दिया.
दुल्हन के घर वाले लड़की को समझते रहें लेकिन लड़की टस से मस न हुई वो साक्षात अपना जीवन बर्बाद होते नहीं देख सकती थी घरवालों को लड़की की बात में दम नजर आया फिर क्या था दुल्हे और बारातियों को बंधक बना लिया गया. कई बार पंचायत बैठी. जिसमें लड़के के घरवालों ने जो दहेज के रूप में समान लिया था उसे लौटाने के लिए कहा गया. पंचायत की बात मानने के बाद बंधक बारातियों और दूल्हे को छोड़ा गया. बारात तो लौट गई लेकिन बिना दुल्हन को साथ लिए.