जिस बिहार में शराब की बोतल रखने पर जेल हो जाती हो उसी बिहार में शराब पीते हुए पकड़े जाने पर बेल मिल जाए तो चर्चा होना स्वाभाविक है. इतनी कठोर शराब अधिनियम बनने के बाद आरोपी को जमानत और उत्पाद विभाग की कार्रवाई पर सवाल खड़ा करता है.
मामला बिहार के दरभंगा जिले का है. गुरुवार की रात उत्पाद विभाग के अधीक्षक दीनबंधु ने दरभंगा से बीजेपी विधायक संजय सरावगी के व्यापारी भाई अजय सरावगी और उनके दो साथी समाहरणालय के विकास शाखा में क्लर्क पंकज कुमार, एअलआईसी एजेंट रितेश कुमार गुप्ता को गुप्त सूचनी के आधार पर शराब का सेवन करते रंगे हाथ गिरफ्तार किया था. उत्पाद विभाग नें इन तीनों को बीच सड़क पर से एक कार से शराब का सेवन करते गिरफ्तार किया गया था.
उत्पाद विभाग द्वारा इन तीनों को कोर्ट में पेश करने के बाद बचाव पक्ष के वकील द्वारा दी गई दलील के आधार पर कोर्ट ने तीनों को जमानत पर रिहा कर देने का आदेश दिया, फिर क्या था दरभंगा ही नहीं पूरे बिहार में बीजेपी विधायक के भाई को मिले बेल पर चर्चाओं का बाजार गर्म गो गया. चर्चा इस बात को लेकर कि इतने कठोर कानून होने के बाद कैसे मिल गई बेल? जब घर में शराब की बोतल मिलने पर जेल हो जाता हो तो फिर शराब पीते पकड़े जाने पर क्यों नहीं भेजा गया जेल? कहीं बीजेपी विधायक ने अपने भाई को छुड़ाने के लिए अपने रसूक का इस्तेमाल तो नहीं किया. चर्चा ये भी है कि कहीं विधायक की प्रतिष्ठा को धूमिल करने की साजिश तो नहीं रची उत्पाद विभाग ने? इसका खुलासा तो आने वाले समय में होगा लेकिन इन सबके बीच चर्चा ये भी है कि उत्पाद विभाग की कार्रवाई में कहीं कोई खामी तो नहीं रह गई?
उत्पाद विभाग के अधीक्षक दीनबंधु ने विधायक के भाई अजय सरावगी और उसके साथियों को बेल मिलने पर कहा कि कोर्ट के फैसले पर टिप्पणी तो नहीं कर सकते. लेकिन इस फैसले के खिलाफ विभाग ऊपरी अदालत का दरवाजा खटखटाएगा. उन्होंने कहा कि विधायक के भाई अजय सरावगी, समाहरणालय के विकास शाखा में क्लर्क पंकज कुमार और एलआईसी एजेंट रितेश कुमार गुप्ता को शराब अधिनियम की धारा 47ए और 53ए के तहत गिरफ्तार किया गया. उन्होंने कहा कि ब्रेथ एनेलाइजर की रिपोर्ट कभी गलत नहीं होती. ब्रेथ एनेलाइजर बिना शराब का सेवन किए रिपोर्ट ही नहीं देता. गिरफ्तार तीनों आरोपी शराब का सेवन किए हुए थे इससे इंकार नहीं किया जा सकता.