बिहार विधानसभा की 10 सीटों पर उपचुनाव की घोषणा के बाद राज्य में सभी राजनीतिक दल जीत के लिए जोड़-तोड़ में जुट गए हैं. वहीं बिहार में नए समीकरणों का भी बनना तय माना जा रहा है.
पिछले लोकसभा चुनाव तथा विधानसभा चुनाव की तुलना में राज्य का मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य बदला हुआ है. एक-दूसरे के धुर विरोधी रहे लालू और नीतीश एक-दूसरे की राजनीतिक गलबहियां देते नजर आ रहे हैं. वहीं भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी की मदद से अपने क्षेत्र के विस्तार में जुटी हुई है.
जिन 10 सीटों पर उपचुनाव होने हैं उसमें नरकटियागंज, राजनगर, जाले, छपरा, हाजीपुर, मोहिउद्दीनगर, परबता, भागलपुर, बांका और मोहनिया शामिल हैं. राजनीति के जानकारों का कहना है कि वैसे तो यह 10 सीटों के लिए उपचुनाव है, परंतु इसके परिणाम अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव की तस्वीर भी साफ कर देंगे.
विधानसभा के पिछले चुनाव में इन 10 सीटों में से छह पर बीजेपी, तीन पर राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और एक पर जनता दल (युनाइटेड) की जीत हुई थी.
आरजेडी के रामलखन राम रमण (राजनगर), सम्राट चौधरी (परबता) और जावेद इकबाल अंसारी (बांका) तथा बीजेपी के विजय कुमार मिश्र (जाले) एवं राणा गंगेश्वर सिंह (मोहिउद्दीनगर) विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर जेडीयू की सदस्यता स्वीकार कर चुके हैं. सबको विधान परिषद में जगह मिली है. जेडीयू के टिकट पर मोहनिया से विधानसभा चुनाव जीते छेदी पासवान बीजेपी के टिकट पर सासाराम से सांसद बन गए हैं.
इस चुनाव में जहां बीजेपी को लोकसभा चुनाव में मिली बड़ी जीत को दोहराने की चुनौती होगी, वहीं जेडीयू के आरजेडी के साथ नई दोस्ती की भी परीक्षा होगी. वैसे आरजेडी और जेडीयू में चुनावी तालमेल होता है या नहीं यह देखने वाली बात होगी.
वैसे जद (यू) के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ट नारायण सिंह राजद की निकटता को स्वीकार करते हुए कहते हैं, 'मांझी सरकार को विश्वास मत में समर्थन और राज्यसभा चुनाव के दौरान जेडीयू के उम्मीदवारों का समर्थन करने के बाद जेडीयू और आरजेडी में नजदीकी बढ़ी है. परंतु आगे क्या होगा यह आगे तय होगा.'
आरजेडी के नेता भी जेडीयू के साथ चुनावी तालमेल से इनकार नहीं करते. आरजेडी के नेताओं का मानना है कि सभी धर्मनिरपेक्ष दलों को एक साथ आना चाहिए.
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सभी 10 सीटों पर जीत की बात करते हैं। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मंगल पांडेय कहते हैं कि अगले विधानसभा चुनाव में भाजपा का लक्ष्य मिशन 175 है. ऐसे में इन 10 सीटों पर जीत के प्रयास किए जाएंगे.
बहरहाल, अभी चुनावी तालमेल पर स्थिति स्पष्ट नहीं हुई है परंतु इतना तय माना जा रहा है इस उपचुनाव में राजनीतिक गणित बदलेगी तथा जेडीयू और आरजेडी को लोकसभा के परिणाम को सुधारने का मौका होगा वहीं बीजेपी को लोकसभा चुनाव के परिणाम बनाए रखने की कड़ी चुनौती होगी.
उल्लेखनीय है कि बिहार विधानसभा की खाली10 सीटों के लिए उपचुनाव की घोषणा कर दी गई है. मतदान 21 अगस्त को जबकि मतगणना 25 अगस्त को होगी.