scorecardresearch
 

बिहारः कई विभागों में दस हजार करोड़ की गड़बड़ी, कैग का खुलासा

नियंत्रक-महालेखापरीक्षक (कैग) ने वित्तीय वर्ष 2012-13 के अपने प्रतिवेदन में बिहार के विभिन्न विभागों में करीब दस हजार करोड़ रुपये की वित्तीय अनियमितता को उजागर किया है.

Advertisement
X

नियंत्रक-महालेखापरीक्षक (कैग) ने वित्तीय वर्ष 2012-13 के अपने प्रतिवेदन में बिहार के विभिन्न विभागों में करीब दस हजार करोड़ रुपये की वित्तीय अनियमितता को उजागर किया है.

Advertisement

कैग के महालेखापरीक्षक पीके सिंह ने कहा, 'राज्य के विभिन्न विभागों में करीब दस हजार करोड़ रुपये की वित्तीय अनियमितता के मामले प्रकाश में आए हैं.'

गौरतलब है कि मंगलवार को बिहार विधानमंडल में मार्च 2013 को समाप्त हुए वर्ष की रिपोर्ट पेश की गई.

खाद्य और उपभोक्ता संरक्षण विभाग के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि 2.14 करोड़ क्विंटल धान के खिलाफ 25.58 लाख क्विंटल कस्टम्ड मिलिंग चावल की आपूर्ति नहीं गई. इसके फलस्वरूप सरकार को 433.94 करोड़ रुपये की हानि हुई.

सिंह ने कहा कि यह हानि खाद्य और उपभोक्ता संरक्षण विभाग के नियम का पालन नहीं करने के कारण हुई. नियमानुसार मिल मालिकों को भारतीय खाद्य निगम को 67 क्विंटल चावल उपलब्ध कराना था और उसके बदले राज्य सरकार को सौ क्विंटल धान देना था.

कई मामलों में मिल मालिकों को बिना चावल लिए धान दे दिया गया. इसके कारण राज्य सरकार को 433.94 करोड़ रुपये की हानि हुई.

Advertisement

सहकारिता विभाग के बारे में कहा गया है कि फसल बीमा योजना में अनियमितता बरते जाने के कारण राज्य सरकार को 152 करोड़ रूपये की हानि हुई क्योंकि बीमा राशि का भुगतान वैसे लोगों को किया गया जिन्होंने फसल लगाया ही नहीं था.

कैग रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2008-09 में बिहार में गेंहू की उपलब्धता जहां 98 प्रतिशत थी, वह वर्ष 2012-13 में घटकर 35 प्रतिशत हो गई. जबकि धान के संबंध में वर्ष 2008-12 में उपलब्धता 100 से 267 थी जो प्रशंसनीय उपलब्धता थी.

कैग की रिपोर्ट के अनुसार राष्ट्रीय कृषि विकास योजना की समीक्षा में योजना का अभाव, निर्दिष्ट निधियों के उपयोग किए जाने की अक्षमता, सूचना प्रौद्योगिकी द्वारा किसानों को प्रोत्साहन नहीं किया जाना, मृदा स्वास्थ्य कार्ड के निर्माण तथा उर्वरता मैपिंग के बिना सूक्ष्म पोषक तत्वों का वितरण, बिहार शताब्दी नलकूप योजना के क्रियान्वयन में दिशा-निर्देशों का अनुपालन नहीं करने, प्रत्येक चरण में आंतरिक प्रणाली एवं अनुश्रवण का अभाव आदि महत्वपूर्ण कमियां पायी गयी.

कैग रिपोर्ट में कहा गया है कि योजनाएं नहीं बनाए जाने अथवा अविश्वसनीय आंकड़ों पर वाषिर्क योजनाएं बनाए जाने, वित्तीय प्रबंधन के अभाव, निधि के कम उपयोग के परिणामस्वरूप 12231.60 करोड़ रुपये के केंद्रांश की प्राप्ति नहीं होने के कारण प्रारंभिक शिक्षा के सर्वव्यापीकरण के उद्देश्य को प्राप्त नहीं किया जा सका.

Advertisement

कैग की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2008-09 के दौरान छात्र-शिक्षक का अनुपात जहां 53:1 था. वर्ष 2012-13 में गिरकर 59:1 हो गया. रिपोर्ट में कहा गया है कि अपर्याप्त अंत: संरचना तथा आधारभूत सुविधाएं यथा विद्यालय भवन, पेयजल, शौचालय, बच्चों को पुस्तकों की विलंब से आपूर्ति एवं विशेष आवश्यकताओं वाले बच्चों की अवहेलना महत्वपूर्ण कमियां थी. कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय योजना में मानव शक्ति की कमी तथा अंत:संरचना अभाव के कारण प्रभावित हुई.

कैग की रिपोर्ट के अनुसार शिक्षा विभाग द्वारा बैंक में निधियों के निवेश के प्रति बिहार इंटरमीडिएट शिक्षा परिषद के अविवेकपूर्ण तथा अनुचित वित्तीय प्रबंधन के फलस्वरूप 52.13 लाख ब्याज की हानि हुई.

कैग की रिपोर्ट के अनुसार सहकारिता विभाग ने राज्य के ग्रामीण संरचना की बेहतरी के लिए बहुत सारे वादे किए पर योजना की खामियों और कमजोर वित्तीय प्रबंधन ने परिणाम को विफल कर दिया. कैग की रिपोर्ट के अनुसार अल्प अवधि में कम लागत पर उपलब्ध जल संसाधनों का उपयोग कर सिंचाई क्षमता का सृजन और सिंचाई क्षमता का समुचित उपयोग किया जाना था. लेकिन लघु जल संसाधन विभाग के उदासीन रवैये तथा पूर्ण नलकूपों के लिए उर्जान्वयन के वास्ते बिहार राज्य विद्युत बोर्ड और विभाग के बीच समझौता नहीं होने के कारण ग्रामीण आधारभूत संरचना विकास निधि का क्रियान्वयन बुरी तरह प्रभावित हुआ. लघु जल संसाधन विभाग द्वारा बिहार राज्य विद्युत बोर्ड को बकाया विद्युत विपत्रों का भुगतान करने से पहले राजकीय नलकूपों के संयुक्त भौतिक सत्यापन के माध्यम से वास्तविक दायित्वों को सुनिश्चित करने में विभाग की विफलता के परिणामस्वरूप 548 गैर क्रियाशील राजकीय नलकूपों के विरूद्ध 37.51 करोड़ रुपये का परिहार्य भुगतान हुआ.

Advertisement

कैग रिपोर्ट में जल संसाधन विभाग के बारे में कहा गया है कि गंगा बाढ़ नियंत्रण आयोग द्वारा अनुमोदित निर्देश की अवहेलना एवं कार्यान्वयन का समय पर आरंभ किए जाने के प्रति लापरवाही की वजह से विभाग को बह गए बेड-बारों पर 5.79 करोड़ रुपये का व्यर्थ व्यय करना पड़ा. बिहार में पौधारोपण के निमित्त समस्त निधियों के लगातार प्रत्यर्पण से राज्य में अवकृष्ट वनों का पुनर्वास का क्रियान्वयन बाधित हुआ.

कैग रिपोर्ट में कहा गया है कि राष्ट्रीय ई-शासन योजना के तहत बिहार स्टेट वाइड एरिया नेटवर्क (बिस्वान) और सामान्य सेवा केंद्र (सीएससी) के निष्पादन लेखा परीक्षा के क्रम में पाया गया कि स्वान का उद्देश्य, जो सीएससी के माध्यम अपने इलाके में आम आदमी के लिए सभी सरकारी सेवाओं को सुलभ बनाने के लिए था, प्राप्त नहीं हो सका. रिपोर्ट के अनुसार पथ निर्माण विभाग द्वारा वर्ष 2007 के यातायात गणना के आधार पर 2012 में निम्न विनिर्देशन पर शेष अलकतरा कार्य क्रियान्वित कराने के अविवेकपूर्ण निर्णय के कारण 2.51 करोड़ रुपये के अवमानक कार्य का निष्पादन किया गया.

Advertisement
Advertisement