कलियुग में डॉक्टर को भगवान का दूसरा रूप कहा जाता है, लेकिन पटना के एक नामी निजी अस्पताल में डॉक्टर का खौफनाक चेहरा सामने आया है. यहां एक कुछ लोगों ने अस्पताल प्रबंधन पर आरोप लगाए हैं कि डॉक्टर मौत के बाद भी एक वृद्ध महिला का इलाज करते रहे. मामले में परिजनों की शिकायत के बाद पुलिस ने जांच के आदेश दिए हैं.
यह मामला पटना के चर्चित पारस अस्पताल का है. मृतिका के परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर इलाज के नाम पर गलत बिल बनाने का आरोप लगाया है. पटना के शास्त्री नगर थाना में धोखाधड़ी के आरोप के तहत केस दर्ज कर लिया गया है.
पहले छुट्टी दी, फिर किया भर्ती
बताया जाता है कि सीतामढ़ी जिले के सिमरा गांव की 62 वर्षीय शैल देवी को इलाज के लिए पारस अस्पताल में 6 अगस्त को भर्ती कराया गया था. अस्पताल में 14 अगस्त तक शैल देवी को एडमिट रखा गया. 14 अगस्त को उन्हें अस्पताल से छुट्टी भी दे दी गई. शैल देवी चेकअप के लिए 15 अगस्त को वापस अस्पताल पहुंची. इस बार उन्हें यह कहकर भर्ती किया गया कि उनकी हालत चिंताजनक है.
आईसीयू में ले जाने के बाद मिलने पर रोक
शैल देवी के बेटे प्रवीण चंद्र का आरोप है कि हालत को चिंताजनक बताकर उनकी मां को आईसीयू में भर्ती करवाया गया और फिर मिलने पर रोक लगा दी गई. प्रवीण कहते हैं, 'मरीज की हालत पूछने पर डॉक्टर सिर्फ बहाना बनाते रहे और कई तरह की बीमारी होने की बात करते रहे.' इस बीच अचानक शीला देवी की बेटी जबरन आईसीयू में चली गई तो पाया कि मानीटर पर पल्स रेट और हार्टबीट जीरो था. बावजूद इसके डॉक्टर बेवजह उसका इलाज करते रहे.
धोखाधड़ी का केस दर्ज
प्रवीण ने बताया कि जब उन्होंने इस बाबत डॉक्टरों से बात की तो पूरी टीम उनसे उलझ गई. प्रवीण चंद्र का आरोप है कि उनकी मां की मौत हो चुकी थी उसके बाबजूद पारस अस्पताल प्रबंधन उनके शव को सुपुर्द करने के बजाय उनका इलाज करती रही. प्रवीण ने इस बाबत शास्त्रीनगर थाना में पारस अस्पताल प्रबंधन पर धोखाधड़ी का मामला दर्ज करवाया है. पटना के एसएसपी मनु महाराज ने कहा कि अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है और जांच की जा रही है.
मरीज के बारे में पल-पल दी जानकारी
दूसरी ओर, पारस अस्पताल के अतिरिक्त मेडिकल सुपरिटेन्डेंट डॉ. शैयद आसिफ रहमान ने सभी आरोपों को सिरे से खारिज किया है. उन्होंने कहा कि मरीज के हालत के बारे में पल-पल उनके बेटे प्रवीण चंद्र को जानकारी दी जाती रही. उन्होंने कहा कि प्रवीण चंद्र ने अस्पताल के कई फॉर्म पर उसको पढ़कर और समझकर हस्ताक्षर भी किया है.
डॉ. शैयद आसिफ रहमान ने कहा कि जहां तक मौत के बाद भी इलाज करने की बात है, तो मौत के बाद सिर्फ पंपिग की जा रही थी. उन्होंने कहा कि पारस अस्पताल की मंशा ना कभी इस तरह की रही है और ना ही होगी.