दो दिन के बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा करने के बाद पटना लौटे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बार फिर केंद्र सरकार से आग्रह किया कि बाढ़ प्रभावित इलाकों का आकलन करने के लिए केंद्रीय टीम को जल्द से जल्द बिहार भेजें. उन्होंने कहा कि इससे बाढ़ की स्थिति का आकलन एक-दो दिनों के अंदर सही तरीके से किया जा सकेगा.
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री से हुई मुलाकात में भी मैंने इस बात का जिक्र किया था. नीतीश कुमार ने कहा कि बाढ़ का आकलन करने के लिए टीम भेजने में केंद्र को अनदेखी नहीं करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि बिहार में बाढ़ प्रभावित इलाकों का आकलन करना जरूरी है. डेस्क पर बैठकर बाढ़ का आकलन नहीं किया जा सकता.
बाढ़ का आकलन कर केंद्र को भेजेंगे ज्ञापन
उन्होंने कहा कि बाढ़ के बाद राहत की जहां तक बात है उसके लिए ज्ञापन तैयार किया जा रहा है. उसे केंद्र को सौंपा जाएगा. बाढ़ राहत के लिए केंद्र सरकार टीम बाद में भी भेज सकती है, लेकिन बाढ़ के आकलन के लिए केंद्रीय टीम को तुरंत बिहार भेजने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि बाढ़ का आकलन कर लेने के बाद इसके लिए क्या करने की जरुरत है, उसके लिए एक सोच विकसित होगी.
बाढ़ राहत के सरकारी कैंप से संतुष्ट
पटना एयरपोर्ट पर नीतीश कुमार ने कहा कि पहले दौर के बाढ़ में करीब 350 करोड़ रुपये से ज्यादा राशि की सहायता की जरुरत पड़ेगी. जबकि दूसरे दौर के बाढ़ में 12 जिले प्रभावित हुए इसमें बड़े पैमाने पर सहायता राशि की जरूरत होगी जिसका आकलन किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि बाढ़ प्रभावित इलाकों मे चलाए जा रहे राहत कैंप से वो संतुष्ट हैं.
बाढ़ राहत हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता
उन्होंने कहा कि सरकार की प्राथमिकता है कि बाढ़ पीड़ितों को ठीक ढंग से राहत मिले और उनके स्वास्थ्य का ध्यान रखा जाए. सरकार का ध्यान इस ओर भी है कि बाढ़ के पानी के जल जमाव के कारण कोई बीमारी पैदा न हो और इसके लिए सारी तैयारियां की जा रही है.
जिम्मेवारी नहीं निभा पा रहे केंद्रीय मंत्री
मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्रियों पर भी जमकर कटाक्ष किया. उन्होंने कहा कि बाढ़ से उन मंत्रियों को कोई लेना-देना नहीं. वो बिहार रचनात्मक काम करने के लिए नहीं आते बल्कि उनका सिर्फ एक ही काम है मीडिया में जगह पाना. उन्होंने कहा कि कौन क्या कर रहा है, क्या बोल रहा है, इससे उन्हें कोई लेना-देना नहीं.
नीतीश कुमार ने कहा कि केंद्रीय मंत्री बिहार इसलिए आ रहे हैं कि जनता कहीं उनसे ये ना पूछ दे कि जब बाढ़ आई थी तो कहां थे. नाम लिए बिना उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि मेरे पास तो बहुत सारी जिम्मेवारियां हैं और उनका हम बखूबी निर्वाह भी कर रहे हैं, लेकिन उनके पास तो कोई काम ही नहीं है. जो जिम्मेवारी मिली है उसका भी ठीक ढंग से निर्वाह नहीं करते.