बिहार में चमकी बुखार और लू के कारण हाहाकार मचा हुआ है. चमकी बुखार के कारण बिहार में जहां 100 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं तो वहीं लू के कारण भी बिहार में 75 से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. वहीं बिहार के लिए आने वाले दो दिन भारी पड़ने वाले हैं. क्योंकि इस दौरान लू के बढ़ने की आशंका जाहिर की गई है और चमकी बुखार भी कुछ बच्चों को अपनी चपेट में ले सकती है. वहीं चमकी बुखार और लू दोनों से निजात पाने के लिए लोग अब बारिश का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं.
चमकी बुखार हो या लू की बात हो, दोनों ही मामलों में बिहार सरकार पूरी तरह से मौसम पर निर्भर है. इसके पीछे कारण है कि न तो चमकी बुखार के लिए कोई वैक्सीन बनी है और न ही लू पर इंसानों का कोई जोर चल सकता है. अब दोनों से बचने के लिए सिर्फ बारिश ही एक सहारा बन सकती है. मौसम विभाग के मुताबिक बिहार के अधिकतर इलाकों में 19 जून को बारिश हो सकती है. अगर बारिश होती है तो गर्मी से भी राहत मिलेगी और एईएस यानी चमकी बुखार के मामलों में भी कमी आएगी.
चमकी के चपेट में बच्चे
बिहार में तांडव मचा रही लू और महामारी की तरह फैले चमकी बुखार को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना में उच्चस्तरीय बैठक की. बैठक के बाद बिहार के मुख्य सचिव दीपक कुमार ने बताया कि सरकार इन दोनों मामलों को लेकर बेहद गंभीर हैं. सरकार ने अब फैसला लिया है कि उनकी टीम हर उस घर में जाएगी, जिस घर के बच्चे की मौत हुई है और जानने की कोशिश करेगी कि उसका बैकग्राउंड क्या है. क्योंकि सरकार अब तक यह पता नहीं कर पाई है कि चमकी बुखार की वजह क्या है. कई विशेषज्ञ कहते हैं कि इसकी वजह लिची वायरस है लेकिन यह बीमारी उन्हें भी हुई जिन्होंने लिची नहीं खाई. वहीं एईएस से प्रभावित बच्चों को मुफ्त एंबुलेंस मुहैया कराई जाएगी. इनके पूरे इलाज का खर्च भी राज्य सरकार उठाएगी और मृतकों के परिवार को मुआवजे के तौर पर 4 लाख रुपए दिए जाएंगे.
स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने कहा कि चमकी बुखार से बिहार के कुल 12 जिले के 222 प्रखंड प्रभावित हैं. लेकिन इनमें से 75 प्रतिशत केस मुजफ्फरपुर के चार प्रखंडों मुशहरी, बोचहा, मीनापुर और कांटी से आए हैं. अब तक इस बीमारी से 104 बच्चों की मौत हुई है. उन्होंने बताया कि सरकार की तैयारी की वजह से इस साल 26 प्रतिशत बीमार बच्चों की मौत हुई, बाकियों को बचा लिया गया. जबकि पहले यह प्रतिशत कहीं ज्यादा था. उन्होंने बताया कि मुजफ्फरपुर मे कुल 380 बच्चे भर्ती हुए. जिसमें 104 बच्चों की मौत हुई.
लू भी जानलेवा
दूसरी तरफ लू की वजह से बिहार के 13 जिलों के 562 लोग प्रभावित हुए हैं. जिसमें 77 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई. सबसे ज्यादा 34 औरंगाबाद, गया में 26 और नवादा में 14 और नालंदा में 3 लोगों की मौत हुई है. लू को देखते हुए सरकार ने दक्षिण बिहार के बाजार 11 बजे से 4 बजे तक बंद रखने के आदेश दिए हैं. मनरेगा का काम सुबह 10.30 के बाद नहीं कराया जाएगा. वहीं कोई भी निर्माण कार्य इस दौरान नही होगा. बिहार के सारे स्कूल-कॉलेज और कोचिंग संस्थान 22 जून तक बंद कर दिए गए हैं.