बिहार के छपरा में राज्य चुनाव आयोग ने बड़ी कार्रवाई करते हुए छपरा नगर निगम की मेयर की सदस्यता रद्द कर दी. उन्होंने चुनावी हलफनामे में अपने तीसरी संतान की बात छुपाई थी. राखी के खिलाफ छपरा की पूर्व मेयर सुनीता देवी ने राज्य चुनाव आयोग में शिकायत की थी. राखी ने आयोग के इस फैसले के खिलाफ पटना हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की है.
दरअसल, राज्य सरकार ने नगर निकाय व पंचायत चुनाव के लिए 2007 में एक कानून लाया था. इसके अनुसार बिहार नगर पालिका अधिनियम 2007 के तहत यह नियम लागू किया गया था कि 4 अप्रैल 2008 के बाद यदि किसी भी उम्मीदवार को तीसरी संतान हुई तो वह चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य होगा. इसी अधिनियम के तहत नगर निगम की पूर्व मेयर सुनीता देवी ने निर्वाचित मेयर राखी गुप्ता के खिलाफ राज्य चुनाव आयोग में शिकायत की थी.
सितंबर 2017 में दिया था तीसरे बेटे को जन्म
राखी गुप्ता ने चुनावी हलफनामे में 4 अप्रैल 2008 के बाद पैदा हुए अपने तीसरे बच्चे की जानकारी छुपाई थी. उन्होंने सिर्फ अपनी दो बेटियों की ही जानकारी दी थी. जबकि उन्होंने 1 सितंबर 2017 को एक बेटे को जन्म दिया था. इन सभी सबूतों के आधार पर पूर्व मेयर ने राज्य निर्वाचन आयोग में उनके खिलाफ मामला दर्ज कराया था. इसके बाद राज्य चुनाव आयोग ने सारण के जिलाधिकारी से इस मामले में जांच रिपोर्ट मांगी थी.
सबूतों के आधार पर राज्य चुनाव आयोग ने की कार्रवाई
जिलाधिकारी ने बताया कि राखी गुप्ता और उनके पति वरुण प्रकाश ने अपने तीसरे पुत्र को अपने नजदीकी निःसंतान रिश्तेदार को कानूनी रूप से गोद दिया था. दस्तावेज में उन दोनों का नाम बच्चे के बायोलॉजिकल माता-पिता के रूप में दर्ज है. साथ ही उनके आधार नंबर और बायोमेट्रिक निशान भी है. इन सभी सबूतों के आधार पर राज्य चुनाव आयोग ने लगभग 5 महीने चली सुनवाई के बाद राखी गुप्ता को अयोग्य ठहराते हुए उनके निर्वाचन को रद्द कर दिया.
यह मेरी नहीं जनता की हार है- राखी गुप्ता
चुनाव आयोग के फैसले पर राखी गुप्ता ने कहा कि उनके पति वरुण प्रकाश के मौसा ठाकुर प्रसाद और मौसी उर्मिला निःसंतान हैं. इस कारण उन्होंने अपने बेटे श्रीश प्रकाश (6 वर्ष) को उन्हें गोद दे दिया था. राखी ने कहा कि वह राज्य चुनाव आयोग के फैसले का सम्मान करती हैं. उनके चुनाव जीतने के बाद से ही विपक्ष उनके पीछे पड़ा हुआ है. यह मेरी हार नहीं है बल्कि जिनके मतों से वह जीतकर आई, उस जनता की हार है. उन्होंने कहा कि इस मामले में माननीय उच्च न्यायालय में अर्जी दाखिल की गई है.