यूपी के प्रयागराज से बिहटा जाने के दौरान भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) के हेलीकॉप्टर चिनूक (Indian Airforce Helicopter Chinook) में तकनीकी खराबी आ गई. जिसके बाद उसे बक्सर में इमरजेंसी लैंडिंग (Emergency Landing) करानी पड़ी. चिनूक को दुरुस्त करने के लिए इंजीनियर बक्सर पहुंच गए हैं. बताया जा रहा है कि कीचड़ और पानी होने के कारण हेलीकॉप्टर को टेकऑफ होने में समय लग सकता है. हेलीकॉप्टर का पहिया जमीन में धंस गया है.
बुधवार शाम इलाहाबाद से बिहटा जाने के दौरान भारतीय वायु सेना का चिनूक हेलीकॉप्टर जैसे ही बक्सर की सीमा में पहुंचा, उसमें तकनीकी खराबी आ गई. हेलीकॉप्टर के पंखों से चिंगारी निकलनी शुरू हो गई. पायलट की सूझबूझ से हेलीकॉप्टर की राजपुर प्रखण्ड के हाई स्कूल के ग्राउंड में आपात लैंडिंग करवाई गई. हेलीकॉप्टर में सवार भारतीय वायु सेना के अधिकारी समेत सभी कर्मी सही सलामत बाहर निकल गए. हालांकि जिस ग्राउंड में हेलीकॉप्टर को उतारा गया वहां कीचड़ और जलजमाव होने के कारण हेलीकॉप्टर के पहिए जमीन में धंस गए.
वायु सेना के चिनूक हेलीकॉप्टर को दुरुस्त करने के लिए तकनीकी विशेषज्ञों की टीम बक्सर पहुंच चुकी है. ग्राउंड में कीचड़ और जलजमाव होने के कारण काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. हालांकि स्थानीय ग्रामीणों के द्वारा हर सम्भव सहयोग भी किया जा रहा है. वायु सेना के अधिकारियों ने बताया कि चारों तरफ कीचड़, जलजमाव और खेत होने के कारण टेकऑफ होने में 1 से दो दिन का समय लग सकता है.
बुधवार को देर शाम जब यह हेलीकॉप्टर ऊपर से गुजर रहा था, तो काफी आवाज आ रही थी. अचानक हेलीकॉप्टर के पंखे से चिंगारी निकलनी शुरू हो गई. इसके बाद उसे लैंड करवाया गया. वायु सेना के आधिकारिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पुलवामा हमले के बाद, मार्च 2019 में चिनूक हेलीकॉप्टर को भारतीय वायु सेना में शामिल किया गया था. यह हेलीकॉप्टर 10 टन तक वजन उठाकर उड़ सकता है. आपदा के समय एवं दुर्गम इलाकों में ऑपरेशन करने के लिए इस हेलीकॉप्टर को ब्रह्मास्त्र माना जाता है. एक साथ इस हेलीकॉप्टर में 50-55 लोग बैठ सकते हैं. आपदा के दौरान 24 स्ट्रैचर इसके अंदर एक साथ लग सकता है. दुर्गम इलाकों में 20 हजार फीट तक की ऊंचाइयों पर उड़ने में इसे महारत हासिल है.
अमेरिकी चिनूक हेलीकॉप्टर ने ही पाकिस्तान में घुसकर ओसामा बिन लादेन को मार गिराने में अहम भूमिका निभाई थी. यह हेलीकॉप्टर ऊंचे और दुर्गम इलाके में भारी भरकम साजो सामान ले जाने के लिए सबसे ज्यादा सक्षम माना जाता है. वर्ष 2015 में भारत ने अमेरिका से 2.5 अरब डॉलर में 22 अपाचे एवं 15 चिनूक हेलीकॉप्टर की खरीद की थी. पुलवामा हमले के बाद मार्च 2019 में सबसे पहले 4 चिनूक हेलीकॉप्टर को भरतीय वायु सेना में शामिल किया गया था.