बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जातीय जनगणना के सिलसिले में RJD नेता तेजस्वी यादव से मुलाकात की है. बिहार में जेडीयू और RJD जैसे दलों के नेता लंबे समय से जातियों की जनगणना के समर्थन में आवाज बुलंद करते रहे हैं. बिहार विधानसभा में इसके समर्थन में प्रस्ताव भी पास है.
लेकिन जिस जातीय जनगणना के मुद्दे पर नीतीश और तेजस्वी आपस में मिल रहे हैं वो जेडीयू की सहयोगी बीजेपी को असहज कर सकती है. अभी 20 जुलाई को ही संसद में केंद्र ने जातीय आधार पर जनगणना से संसद में इनकार किया है.
जातीय जनगणना का मुद्दा लंबे समय से मंडल की राजनीति करने वालों के लिए संवेदनशील मुद्दा रहा है, लेकिन चाहे पिछली यूपीए सरकार रही हो या अभी मोदी सरकार, दोनों इस पर हाथ रखने से बचना चाह रहे हैं.
हालांकि भारतीय जनता पार्टी (BJP) की ओर से भी ओबीसी का दांव चलने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है. अभी कल ही केंद्र ने मेडिकल एजुकेशन में 10% आर्थिक पिछड़ों के साथ-साथ 27% ओबीसी आरक्षण को मंजूरी दी है.
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मंडल के इस दांव से आने वाले समय की राजनीति क्या करवट लेने जा रही है? क्या नीतीश कुमार का दांव बिहार में नई राजनीति की संभावना को जन्म दे सकता है? और क्या वाकई जातीय जनगणना करायी जानी चाहिए?
क्या ये मुलाकात मंडल पार्ट-2 की सुगबुगाहट
बिहार की मौजूदा राजनीति के दो ध्रुव मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और नेता विपक्ष तेजस्वी यादव ने मुलाकात की है. इस मुलाकात के मायने समझने की कोशिश में पूछा जा रहा है कि क्या ये मुलाकात मंडल पार्ट-2 की राजनीति की सुगबुगाहट है?
क्या जातिगत जनगणना बिहार में नई राजनीति की ओर संकेत कर रहा है? देखिए @sujjha की ये रिपोर्ट। #Dangal, @chitraaum के साथ #Bihar #Politics pic.twitter.com/A8C2IQeHx1
— AajTak (@aajtak) July 30, 2021
दरअसल, ये मुलाकात जाति आधारित जनगणना के मद्देनजर हुई है. बिहार में नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू और विपक्षी दल आरजेडी पूरी तरह जाति आधारित जनगणना के समर्थन में हैं. कहने को तो ये जातिगण जनगणना आरक्षण को लेकर जातियों को असल न्याय दिलाने का पहला कदम होगा. लेकिन इससे ओबीसी आरक्षण की नई राजनीति का रास्ता खुल सकता है.
नीतीश कुमार जातिगत जनगणना का दांव लंबे समय से चल रहे हैं. 24 जुलाई को नीतीश ने ट्वीट करके कहा था कि हम लोगों का मानना है कि जाति आधारित जनगणना होनी चाहिए. बिहार विधानमंडल ने 18 फरवरी 2019 और फिर बिहार विधानसभा ने 27 फरवरी 2020 को सर्वसम्मति से इस आशय का प्रस्ताव पारित किया था और इसे केंद्र सरकार को भेजा गया था. केंद्र सरकार को इस मुद्दे पर पुनर्विचार करना चाहिए. इस ट्वीट से पहले भी अपने बयानों में वो इसकी वकालत कर चुके हैं.
हालांकि जागिगत गणना पर नीतीश के आगे बढ़ने के बावजूद सहयोगी बीजेपी अभी अपने पत्ते नहीं खोल रही है. दूसरी ओर, नीतीश कुमार RJD के साथ मिलकर जागिगत जनगणना का गणित बैठा रहे हैं, तो बीजेपी ने भी OBC के दांव खुलकर खेलने शुरू किए हैं.
केंद्र सरकार ने सरकारी मेडिकल अंडर ग्रेजुएल और पोस्ट ग्रेजुएट एडमिशन में 27% ओबीसी और 10% आर्थिक कमजोर छात्रों को आरक्षण को मंजूरी दे दी है. इससे फायदा तो करीब 5500 छात्रों को होगा, लेकिन संदेश पूरी ओबीसी समुदाय को जा रहा है. अब विपक्ष चाहे जो कहे लेकिन मंत्रिपरिषद में सबसे अधिक ओबीसी मंत्रियों के बाद मेडिकल एजुकेशन में आरक्षण जैसे कदमों से मोदी सरकार ओबीसी वोट बैंक पर डोरे डाल रही है.
(आजतक ब्यूरो)