भाजपा ने चेतावनी दी कि अल्पमत में आ चुकी कांग्रेस नीत संप्रग सरकार महज अपनी कुर्सी बचाने के लिए बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की रणनीति पर आगे बढ़ने से बाज आए.
पार्टी के प्रवक्ता राजीव प्रताप रूडी ने कहा, ‘अगर केन्द्र बिहार को विशेष दर्जा देने पर विचार कर रही है तो इस बात का वह सत्ता में बने रहने की अपनी किसी रणनीति के साथ घालमेल नहीं करे.’
उन्होंने कहा, 'कांग्रेस नीत केन्द्र सरकार ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने के बारे में विचार का जो समय चुना है, उससे कुछ शक पैदा होता है. शक यह पैदा हो रहा है कि अल्पमत में आ जाने के कारण कहीं वह कुछ कमजोर राज्यों को कुछ देने के नाम पर क्या कुर्सी बचाना चाहती है.'
उन्होंने कहा कि बिहार को वंचित राज्य के दर्जे से उबरने के लिए विशेष राज्य के दर्जे की जरूरत है लेकिन कांग्रेस केन्द्र की सत्ता में बने रहने के लिए इसका राजनीतिक इस्तेमाल नहीं करे.
यह पूछे जाने पर कि क्या भाजपा को भय है कि राजग का उसका महत्वपूर्ण घटक दल जदयू संप्रग के साथ जा सकता है, रुडी ने इसका सीधा जवाब नहीं देते हुए कहा कि अगले लोकसभा चुनाव के बाद केन्द्र में भाजपा की सरकार बनेगी और नीतीश कुमार (बिहार के मुख्यमंत्री) साथ होंगे.
इस सवाल पर कि भाजपा को शक है कि नीतीश भाजपा का साथ छोड़ सकते हैं, रुडी ने इसे टालते हुए कहा, ‘यह प्रश्न प्रासांगिक नहीं है. बिहार में भाजपा और जदयू की मजबूत सरकार है.’
यह पूछे जाने पर कि क्या केन्द्र सरकार को बचाने के लिए कांग्रेस ‘बिहार कार्ड’ खेल रही और क्या इस प्रयास में उसे भाजपा के सहयोगी दल जदयू का साथ मिल सकता है.
रुडी ने कहा, 'कांग्रेस बहुत से असफल प्रयास कर रही है. बसपा, सपा और द्रमुक का समर्थन पाने के लिए वह सीबीआई का प्रयोग कर रही है. लेकिन अब वह पूरी तरह धराशायी हो गयी है. अब वह ज्यादा दिन बचने वाली नहीं है.'
बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने के बारे में नीतीश कुमार ने पिछले सप्ताह प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, वित्त मंत्री पी चिदंबरम और योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया से बात की थी. इस बातचीत के बाद उन्होंने कहा था कि प्रधानमंत्री के साथ भेंट के बाद उन्हें बड़ी उम्मीद बंधी है कि इस मुद्दे को आगे बढ़ाया जाएगा.
रुडी ने बिहार को ‘पिछड़ा राज्य’ कहने पर भी कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि ऐसा कहना पूर्णत: अनुचित है. उन्होंने कहा कि 10 करोड़ की आबादी वाला बिहार पिछड़ा राज्य नहीं बल्कि ‘वंचित राज्य' है. झारखंड के अलग होने के बाद बिहार राष्ट्रीय विकास से वंचित हो गया. इसीलिए बिहार के मुख्यमंत्री और भाजपा ने संयुक्त रूप से उसे विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की.