देश में जब कोरोना वायरस ने पूरी तरीके से अपने पैर पसार लिए हैं और संक्रमित मरीज एक- एक बेड, ऑक्सीजन और वेंटीलेटर के लिए तरस रहे हैं और संसाधनों के अभाव के कारण कई लोगों की तड़प तड़प के मौत हो गई है. ऐसे में अगर पता चले कि कहीं पर संसाधनों की बर्बादी की जा रही है, तो कितना गुस्सा आएगा. अब बिहार से एक ऐसी ही चौंकाने वाली खबर सामने आई है.
कोविड अस्पताल पर ताला क्यों?
बिहार के सहरसा जिले के सिमरी बख्तियारपुर प्रखंड में एक कोविड-19 अस्पताल ऐसा भी है जिसकी शुरुआत सरकार ने पिछले साल की थी ताकि संक्रमित लोगों का यहां इलाज हो सके. हैरानी की बात ये है कि अस्पताल सभी सुविधाओं से लैस है लेकिन फिर भी पिछले कई महीनों से बंद पड़ा है. आज तक को जब इस बारे में जानकारी मिली कि सिमरी बख्तियारपुर का यह कोविड-19 अस्पताल पिछले कई महीनों से बंद पड़ा है तो इसकी पड़ताल करने के लिए गुरुवार को टीम मौके पर पहुंची.
सभी सुविधा मौजदू, फिर भी मरीज दर-दर भटक रहे
मौके पर पहुंचने पर पाया गया कि जिस भवन में इस अस्पताल को खोला गया है वो एक भव्य और नवनिर्मित भवन है जिसकी शुरुआत पिछले साल कोविड-19 अस्पताल के तौर पर हुई थी. लेकिन अब इस अस्पताल पर ताला लटक रहा है. जब पूरे देश में इस वक्त तमाम अस्पताल पूरी तरीके से मरीजों से भरे पड़े हैं और कई लोगों की जान इसलिए भी चली जा रही है क्योंकि उन्हें बेड नहीं मिल पा रहा है और उपचार नहीं हो पा रहा है, ऐसे में बिहार का यह कोविड-19 अस्पताल शायद अपने तरीके का इकलौता अस्पताल है जहां पर ताला लटका हुआ है.
डॉक्टरों की कमी बनी वजह?
इसके बाद आज तक की टीम ने सिमरी बख्तियारपुर के प्रखंड विकास पदाधिकारी मनोज कुमार से संपर्क किया और उनसे आग्रह किया कि वह अस्पताल का ताला खुलवाएं. प्रखंड विकास पदाधिकारी मनोज कुमार की पहल पर उस अस्पताल के ताले को खोला गया जिसके बाद जब आज तक की टीम अंदर गई. वहां जो देखने को मिला, वो हैरान करने वाला था. अस्पताल के अंदर जाने पर पता चला कि यह कोविड-19 अस्पताल 60 बेड से लैस है. ये भी पता चला कि अस्पताल में हर बेड के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर के साथ-साथ अन्य सुविधाएं जैसे गर्म पानी, इलेक्ट्रिक जग और स्वच्छ पीने का पानी उपलब्ध है.
बंद अस्पताल में कोविड की दवाइयां
महामारी के दौरान कोविड-19 अस्पताल को बंद रखने को लेकर जब मनोज कुमार से सवाल पूछा गया तो उन्होंने अपना रोना रोया. मनोज कुमार ने बताया क्योंकि सिमरी बख्तियारपुर अनुमंडल अस्पताल में डॉक्टरों की भारी किल्लत है इसी कारण से कोविड-19 अस्पताल को नहीं चलाया जा रहा है. इसके बाद आज तक की टीम डॉक्टर के चेंबर में पहुंची तो पाया कि वहां कोई भी मौजूद नहीं है. इस बात को लेकर और ज्यादा हैरानी हुई जब यह देखा गया कि डॉक्टर के चेंबर में कोविड-19 संक्रमित मरीजों के लिए जो जरूरी दवाएं होती हैं वह पड़ी हुई हैं. अजित्रोमायकिन जैसी जरूरी दवाएं जिसकी बाजार में किल्लत है और लोगों को मिल नहीं रही हैं, वो एक बंद अस्पताल में ऐसे ही पड़ी देखी गईं.