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बिहार में ऑक्सीजन घोटाला? पटना के अस्पताल में आवश्यकता से अधिक हुई खपत

पीएमसीएच में ऑक्सीजन की वास्तविक जरूरत से कई गुना अधिक खपत कागजों पर दिखाई गई है. बिहार के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में सामने आई इस घोर लापरवाही के कारण ऑक्सीजन की कालाबाजारी का शक गहरा गया है.

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पीएमसीएच में वास्तविक आवश्यकता और खपत में मिला बड़ा अंतर (प्रतीकात्मक तस्वीर-PTI)
पीएमसीएच में वास्तविक आवश्यकता और खपत में मिला बड़ा अंतर (प्रतीकात्मक तस्वीर-PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • पटना हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा विस्तृत रिपोर्ट
  • पीएमसीएच में आवश्यकता और खपत में मिला अंतर

बिहार में कोरोना वायरस की महामारी से निपटने की सरकारी तैयारियों की मॉनिटरिंग कर रहे पटना हाईकोर्ट में गुरुवार को चौंकाने वाली जानकारी सामने आई. कोर्ट में पेश की गई जांच रिपोर्ट के मुताबिक पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (पीएमसीएच) में वास्तविक जरूरत से कई गुना अधिक ऑक्सीजन की खपत कागजों पर दिखाई गई है. बिहार के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में सामने आई इस घोर लापरवाही के कारण ऑक्सीजन की कालाबाजारी का शक गहरा गया है.

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दरअसल कुछ दिन पहले ही हाईकोर्ट की ओर से गठित एक्सपर्ट टीम ने बताया था कि नालंदा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एमएमसीएच) में पीएमसीएच से ज्यादा कोरोना संक्रमित हैं, बावजूद इसके पीएमसीएच में ऑक्सीजन की आपूर्ति और खपत ज्यादा हो रही है. कमेटी ने उसी दिन ऑक्सीजन की कालाबाजारी की आशंका जताई थी. इसके बाद कोर्ट ने इसकी विस्तृत जांच करने का निर्देश दिया था.

अब जांच रिपोर्ट में ये बात सामने आई है कि पीएमसीएच में मुख्य रूप से डी टाइप ऑक्सीजन सिलेंडर का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसमें एक सिलेंडर में 7 हजार क्यूबिक लीटर गैस रहती है. कमेटी के मुताबिक जांच वाले दिन पीएमसीएच में कोरोना संक्रमितों के साथ ही दूसरे वार्ड्स में भी भर्ती मरीजों में से 99 फीसदी मरीज नॉर्मल रेस्पिरेशन वाले थे जिन्हें प्रति मिनट 5 लीटर की दर से हर रोज लगभग एक ऑक्सीजन सिलेंडर की जरूरत थी. सिर्फ एक फीसदी मरीज ही ऐसे थे जिन्हें 15 लीटर प्रति मिनट ऑक्सीजन की दर से रोजाना तीन सिलेंडर की जरूरत पड़ रही थी.

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जांच वाले दिन अस्पताल के चार्ट के मुताबिक वहां कोविड मरीजों की कुल संख्या 127 थी. उसमें नॉर्मल रेस्पिरेटरी वाले मरीज 125 (रोजाना 1 सिलेंडर) और 2 मरीज गंभीर रेस्पिरेटरी (रोजाना 3-4 सिलेंडर) वाले थे. यानी 24 घंटे में इन 127 मरीजों को अधिक से अधिक 150 सिलेंडर की ही जरूरत थी लेकिन अस्पताल में मौजूद चार्ट के मुताबिक उस दिन इन मरीजों के नाम पर 348 सिलेंडर की खपत दिखाई गई.

इसके अलावा गैर कोरोना मरीजों के मामले में भी यही लापरवाही सामने आई. जांच टीम के मुताबिक उस दिन पीएमसीएच के क्रिटिकल केयर वार्ड, महिला वार्ड, ईएनटी वार्ड और टाटा वार्ड में भर्ती ऑक्सीजन सपोर्ट वाले मरीजों की वास्तविक आवश्यकता से कई गुना ज्यादा ऑक्सीजन सिलेंडर की खपत दिखाई गई है. यानी पूरे अस्पताल में जरूरत और कागजों पर दिखाई गई खपत में काफी अंतर पाया गया.

कोर्ट मित्र ने की ऑडिट कराने की सिफारिश

पीएमसीएच मामले में कोर्ट मित्र बनाए गए अधिवक्ता मृगांक मौली ने अस्पताल में ऑक्सीजन की खपत की ऑडिट कराने की सिफारिश की है. हाईकोर्ट ने सरकार से सभी कोविड अस्पतालों में ऑक्सीजन आपूर्ति और दूसरी स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराने को कहा है. कोर्ट ने ये भी पूछा है कि राज्य में लिक्विड ऑक्सीजन की आपूर्ति में कितने टैंकर काम कर रहे हैं. अब इस मामले पर शुक्रवार को सुनवाई होगी.

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