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'बुलाते तो भी नहीं जा पाता...' KCR की बैठक में शामिल नहीं होने पर बोले नीतीश कुमार

नीतीश कुमार ने जोर देकर कहा, "ऐसा प्रतीत होता है कि बैठक एक पार्टी (बीआरएस) कार्यक्रम के हिस्से के रूप में आयोजित की गई थी. जिसमें आमंत्रित लोगों ने भाग लिया. इसे एक नए मोर्चे के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए. मैं इसे फिर से स्पष्ट कर दूं, मुझे अपने लिए कुछ नहीं चाहिए. लेकिन मेरा विचार है कि अधिक से अधिक विपक्षी दलों को राष्ट्रीय हित में एक साथ आना चाहिए."

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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (File Photo)
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (File Photo)

तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर ने बुधवार को खम्मम में एक जनसभा का आयोजन किया. जिसमें दिल्ली और केरल के मुख्यमंत्रियों समेत कई विपक्षी नेता शामिल हुए. इसके बाद से सियासी गलियारों में तीसरे मोर्चे की नींव रखने की चर्चा शुरू हो गई. इस बैठक में आने का न्योता नहीं मिलने पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का बयान सामने आया है. जिसमें उन्होंने कहा है कि राज्य में व्यस्तताओं के कारण वह अपने तेलंगाना समकक्ष के.चंद्रशेखर राव द्वारा आयोजित विपक्षी नेताओं की बैठक में शामिल होने नहीं जा सकते थे, भले ही उन्हें आमंत्रित किया जाता.

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जद (यू) नेता और बिहार के मुख्यमंत्री ने गुरुवार को बयान देते हुए हैदराबाद के कार्यक्रम को एक वैकल्पिक गैर-कांग्रेसी, गैर-भाजपा मोर्चे के गठन के अग्रदूत (तीसरे मोर्चे) के रूप में देखने से इनकार कर दिया और फिर दोहराया कि यदि सभी गैर-एनडीए दल एक साथ आते हैं तो यह राष्ट्रीय हित में होगा. उन्होंने कहा, "मैं उस बैठक के बारे में नहीं जानता. मैं अभी बहुत व्यस्त हूं, अगर मुझे आमंत्रित किया जाता तो भी मैं नहीं जा पाता."

हालांकि, उनका मानना ​है कि तेलंगाना के मजबूत व्यक्ति केसीआर के साथ संरेखण के लिए अभी भी दरवाजे खुले हैं, जिन्होंने अपनी तेलंगाना राष्ट्र समिति का नाम बदलकर भारत राष्ट्र समिति कर दिया है, जिसे राष्ट्रीय महत्वाकांक्षाओं के संकेत के रूप में देखा जा रहा है.

भाजपा के बिहार से सत्ता से हटने और 'महागठबंधन' की नई सरकार बनने के कुछ ही समय बाद ही केसीआर के दौरे का जिक्र करते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि वह हाल ही में यहां आए थे. पटना आने पर केसीआर ने कुमार के साथ-साथ राजद के अध्यक्ष लालू प्रसाद से भी मुलाकात की थी.

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नीतीश कुमार इस धारणा से भी असहमत दिखे कि हैदराबाद में हुई बैठक, जिसमें आम आदमी पार्टी और वाम दलों के नेताओं ने भाग लिया, एक "मुख्य मोर्चा" के रूप में उभरा है, जो 2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को चुनौती देगा. 

कुमार ने जोर देकर कहा, "ऐसा प्रतीत होता है कि बैठक एक पार्टी (बीआरएस) कार्यक्रम के हिस्से के रूप में आयोजित की गई थी. जिसमें आमंत्रित लोगों ने भाग लिया. इसे एक नए मोर्चे के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए. मैं इसे फिर से स्पष्ट कर दूं, मुझे अपने लिए कुछ नहीं चाहिए. लेकिन मेरा विचार है कि अधिक से अधिक विपक्षी दलों को राष्ट्रीय हित में एक साथ आना चाहिए."

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