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बिहार के मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार का कहर, अब तक 54 बच्चों की मौत

बिहार में चमकी बुखार का कहर बढ़ता जा रहा है. इस बीमारी को एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (AES) भी कहा जाता है. मुजफ्फरपुर में अब तक इस बीमारी से 54 बच्चों की मौत हो चुकी है. 46 बच्चे की जान सिर्फ श्री कृष्णा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में गई है. जबकि 8 बच्चे केजरीवाल अस्पताल में जान गंवा चुके हैं. खबर अपडेट की जा रही है.

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बिहार के मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार का कहर
बिहार के मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार का कहर

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बिहार में चमकी बुखार (दिमागी बुखार) का कहर बढ़ता जा रहा है. इस बीमारी को एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (AES) भी कहा जाता है. मुजफ्फरपुर में अब तक इस बीमारी से 54 बच्चों की मौत हो चुकी है. 46 बच्चों की मौत सिर्फ श्री कृष्णा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एसकेएमसीएच) में हुई है. जबकि 8 बच्चे केजरीवाल अस्पताल में जान गंवा चुके हैं.

15 वर्ष तक की उम्र के बच्चे इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं.  मरने वाले बच्चों की उम्र एक से सात साल के बीच है. इस बीमारी का शिकार आमतौर पर गरीब परिवार के बच्चे हो रहे हैं. डॉक्टरों के मुताबिक, इस बीमारी का मुख्य लक्षण तेज बुखार, उल्टी-दस्त, बेहोशी और शरीर के अंगों में रह-रहकर कंपन (चमकी) होना है. 

 हर साल इस मौसम में मुजफ्फरपुर में इस बीमारी से कई बच्चों की मौत हो जाती है. पिछले साल गर्मी कम रहने के कारण इस बीमारी का प्रभाव कम देखा गया था.एसकेएमसीएच में अपने बच्चों को खोने वाली मांओं की चीख सुनकर हर किसी का कलेजा फटा जा रहा है. माओं के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. मृतक बच्चों के रिश्तेदार उन्हें ढांढस बंधा रहे हैं. अस्पतालों में लगातार इस बीमारी से पीड़ित बच्चों को लाया जा रहा है.

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बच्चों की मौत की वजह को लेकर डॉक्टरों की राय भी बंटी हुई है. कुछ का कहना है कि इस साल बिहार में अब तक बारिश नहीं हुई है, जिसकी वजह से मौतों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. वहीं बच्चों के बीमार होने के पीछे 'लीची कनेक्शन' को भी देखा जा रहा है. पिछले 15 साल  में इसे लेकर काफी रिसर्च हुई है कि कहीं मुजफ्फरपुर में उगाई जाने वाली लीची के कारण ही तो बच्चों में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम बीमारी तो पैदा नहीं हो रही.

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