लातूर और महाराष्ट्र के सूखे और फटे खेतों के दृश्य अगर गंगा की गोद में दिखे, तो दहशत लाजिमी है. पटना में गंगा के साथ भी कुछ यही हालात हैं. राजधानी से रूठ चुकी गंगा अब यहां से मीलों दूर जा चुकी है और इसमें बहने वाला पानी भी गर्मी में इस कदर सूख रहा है कि लोग पानी का स्तर नापते गंगा के बीचों-बीच नदी में खड़े मिल जाएंगे.
पटना के लिए खतरे की घंटी
गंगा में लगातार जलस्तर घट रहा है, जो पटना वासियों के लिए खतरे की घंटी है. यूं तो गंगा को रूठे एक दशक से ज्यादा हो चुका है और गंगा पटना शहर से करीब दो मील दूर उत्तर की ओर जा चुकी है, लेकिन इस साल रिकार्ड गर्मी ने गंगा से महानदी का दर्जा लगभग छीन ही लिया है.
सभी कुएं और तालाब सूखे
हालात ये हैं कि जो गंगा कभी लाखों कुओं और तलाबों की जीवनदायनी थी. उसके खुद के सूखने से अब गंगा किनारे के कुएं और तालाब भी सूख चुके हैं. लोग पानी के लिए बेहाल होने लगे हैं. पटना का कल्क्ट्रीयट घाट को अग्रेंज कभी अपने बंदरगाह के तौर पर इस्तेमाल करते थे, लेकिन आज यहां बंदरगाह कौन कहे गंगा का एक बूंद पानी अब लोगों के दर्शन तक के लिए मयस्सर नहीं है. सिर्फ डेढ़ दशक पहले तक यह घाट पटना का सबसे बड़ा और मशहूर घाट था क्योंकि कलेक्ट्रीयट से लेकर अदालत तक सबकुछ इसी की किनारे बना था.
गर्मी से गंगा हुई छिछली
एक मंदिर के पुजारी बुजुर्ग केदारनाथ झा ने कहा, 'इस साल बिहार में पड़ रही भीषण गर्मी ने गंगा का भी बुरा हाल कर दिया है. 1980 के बाद 2016 में अप्रैल महीने का गर्मी का रिकॉर्ड टूटा है.' 36 सालों में यह पहला मौका है जब पारा अप्रैल में ही 44 के पार चला गया हो. इसका असर आम जनजीवन पर चाहे जितना पड़ा हो, लेकिन इसने गंगा को करीब-करीब सूखने की कगार पर ला दिया है. वो गंगा जिसके किनारे बड़े-बड़े घाट आज भी खड़े है, वहां पानी खत्म हो चुका है, मीलों दूर तक सिर्फ बालू और खेत दिखाई दे रहे है.
सूखती गंगा से बेहाल हुए लोग
गंगा दर्शन की चाहत रखने वाले लोग पटना से दूर दानापुर के दीघा और पटना सिटी का रुख करने लगे हैं क्योंकि गंगा की बची-खुची धारा अब वहां दिखती है. चाहे कोई पूजा हो या गंगा में मस्ती अब पटनावासियों के लिए सपने जैसा है. गंगा बचाने के लिए सालों से जद्दोजहद कर रहे गुड्डू बाबा के मुताबिक सरकार अगर चाहे तो गंगा की वापसी हो सकती है.