बिहार में दुर्गा पंडालों के जरिये धार्मिक भावनाओं के साथ-साथ सामयिक विषयों का भी ध्यान रखा जाता है. इसी तरह का एक पंडाल दरभंगा में चर्चा का विषय बना हुआ है. पंडाल में बंद चीनी मिल को दिखाया गया है. कभी मिथिलांचल में कई उद्योग थे, कई चीनी मिलों के साथ-साथ अशोक पेपर मिल जुट मिल भी यहां थी. लेकिन आज यह सभी उद्योग बंद पड़े हैं. मिलों के बंद होने से किसानों और रोजगार पर क्या असर हुआ है, उसे पंडाल के जरिये दिखाया गया है. पंडालों के जरिये सरकार को संदेश देने की कोशिश की गई है.
नवरात्र में बना पंडाल सरकार का ध्यान खींचने और अपनी समस्याएं को जताने का जरिया बन गया है. दरभंगा शहर के दोनार दुर्गा पूजा समिति का एक पंडाल जो बंद चीनी मिल के रूप में बनाया है. बंद पड़े चीनी मिल रूपी इस पंडाल को जहां एक बड़े जंजीर से बांध कर एक बड़ा सा ताला लगा दिखाया गया है. वहीं पंडाल के ही रूप में चिमनी और पानी टंकी सीढ़ी बना कर वर्तमान स्थिति का चित्रण किया गया है.
स्थानीय लोगों को यह पूजा पंडाल काफी पसंद आ रहा है और भीड़ भी इसे देख सराह रही है. पंडाल के अंदर भी कई मुद्दों पर चोट की गई है. मसलन आज का नौजवान शिक्षित होने के बावजूद बेरोज़गार है. सरकारी कर्मचारी के हाथ में रुपये दिखाकर यह सन्देश दिया जा रहा है कि आज भी सरकारी कर्मचारी घूस खा रहे हैं. डॉक्टर की भी मूर्ति लगा उसे लोगों की सेवा करने की नसीहत दी गयी है, नहीं तो उनका खुद का डॉक्टर का निशान कैसे नाग का रूप लेकर उसे ही डसने को तैयार है.
पंडाल में कुछ गीता के उपदेश भी लिखे हैं जो लोगों को एक सन्देश देकर काफी प्रभावित कर रहे हैं. बंद चीनी मिल को शुरू करने के नाम पर न जाने कितने नेता और सरकार आये और गए लेकिन चीनी मिल नहीं शुरू की जा सकी. यही वजह है की पूजा का यह पंडाल एक तरफ जहां नेता और सरकार पर चोट कर रहा है वहीं बंद पड़े चीनी मिल को भूल चुके आम लोगों को भी इसकी याद दिला रहा है. संदेश साफ है कि आखिर हमारे नेता आखिर कहां सो रहे हैं. पंडाल बनाने के पीछे पूजा समिति ने कहा शायद इस बार देवी दुर्गा की कृपा से नेताओं को सदबुद्धि आये और चीनी मिल शुरू हो जाए.