कोविड 19 के बीच दशहरे का त्योहार सरकार और प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बन गई है. भक्त अपनी आस्था के सामने सरकारी दिशा-निर्देश, पुलिस प्रशासन और मंदिर कमिटी की एक नहीं सुन रहे हैं. बिहार नेपाल सीमाई इलाके में कई प्रसिद्ध मंदिर हैं. नेपाल का गहवा माई मंदिर, बिदवासनी माई गढ़ी माई में सप्तमी के दिन विशेष पूजा की जाती है और अष्टमी, नवमी के दिन बलि देने की प्रथा है.
वहीं, प्रशासन ने भीड़ को देखते हुए इस बार बलि पर रोक लगा दी है. ऐसे में एक भक्त का कहना है कि माता ने मेरी मन्नत पूरी की है तो क्या डर से अपनी श्रद्धा भी नहीं दिखाएं. बता दें कि अष्टमी और नवमी के दिन माता के भक्त कबूतर, बकरे से लेकर भैंस की बलि देते हैं.
रक्सौल के मनोकामना माई मन्दिर में नवमी को बलि दी जाएगी. जिसको लेकर शाम से ही मन्दिर के आसपास में भक्तों की भीड़ लगाना शुरू हो जाती है. जबकि मन्दिर कमिटी सहित पुलिस ने भीड़ को देखते हुए बलि पर रोक लगा दी है. उसके बावजूद भी बड़ी संख्या में भक्त पहुंचने लगे हैं.
देखें: आजतक LIVE TV
कुछ शर्तों के साथ भक्तों की भीड़ को देखते हुए मंदिर को बंद कर दिया गया है. केवल मंदिर पुजारी द्वारा दैनिक पूजा की जा रही है. आम भक्तों के लिए मंदिर में प्रवेश पर रोक है. इसके बावजूद भी हजारों की संख्या में भक्त मंदिर के गेट और मंदिर के आसपास की जगहों पर दुर्गा की पूजा और बलि चढ़ा रहे हैं.
भक्तों की भीड़ इतनी है कि पुलिस प्रशासन के साथ मंदिर कमिटी के पसीने छूट रहे हैं. कोई भक्त अपनी आस्था के सामने किसी की नहीं सुन रहे हैं. भक्त शिप्रा देवी का कहना है कि पूर्वजों के समय से ही हम लोग मन्दिर में आकर ही पूजा और विशेष भेंट दुर्गा माता को चढ़ाते हैं. तो आज कोविड 19 के समय में डर कर कैसे अपनी पूजा पाठ छोड़ दें.
सरकार ने सब जगह छूट दी है तो मंदिर पर क्यों मनाही है. समाज सेवी श्याम बाबू पटेल की मानें तो मंदिर बंद करने से आस्था कम नहीं हो सकती. सरकार की नाकामी के कारण आज भीड़ दिख रही है. जिससे बड़ी संख्या में लोग कोविड 19 के शिकार होंगे. (इनपुट-गणेश शंकर)
ये भी पढ़ें