भूकंप के बाद बिहार कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग ने एक भूकंप क्लीनिक खोला है, इसमें भूंकप के लिए कैसे मकान बनाएं, भूंकप में क्षतिग्रस्त मकानों को दोबारा कैसे बनाएं और कैसे अपने मकान को भूकंपरोधी बनाएं, इसकी सलाह दी जा रही है.
राज्य में लगातार आ रहे भूकंप के झटकों के बाद यहां आने वालों की तादात बढ गई है. लोग अपने घरों को भूंकपरोधी कैसे बनाएं, भूंकप आने पर क्या करें इसे जानने के लिए आ रहे हैं. बिहार को सेसमिक जोन-4 के तहत रखा गया है, जहां अगर 7.5 की तीव्रता का भूकंप आया तो भारी नुकसान हो सकता है.
भूकंप के बाद बिहार में मानसिक रोगियों के संख्या में काफी बढोतरी हो गई है. ये लोग भूकंप की वजह से डरे-सहमे हैं. ऊंची बिल्ड़िग में रहने वालों में भूकंप फोबिया देखा जा रहा है और कई तो डिप्रेशन में जा रहे हैं. मानसिक अस्पताल और डॉक्टरों के यहां ऐसे लोगों की भीड़ बढ़ने लगी है.
भूकंप की मार्केटिंग भी शुरू
एनडीआरएफ की टीमें भूकंप की मॉक ड्रिल कर लोगों को इसके खतरे से आगाह कर रही हैं और भूकंप से कैसे बचें इसकी ट्रेनिंग दे रही हैं. भूंकप के डर की मार्केटिंग भी होने लगी है. कुछ कंपनियों ने भूकंप अलार्म और भूकंप अलार्म सिस्टम नाम से गैजेट्स भी ऑनलाइन बेचने शुरू कर दिए हैं. कंपनियों का दावा है कि भूकंप के आने पर ये अलार्म बजने लगेंगे जिससे सोते हुए लोग जागकर भाग सकते हैं.