सम्राट अशोक को लेकर जो विवाद उठा है उसका असर बिहार के एनडीए में दिख रहा है. जेडीयू और बीजेपी के नेता एक-दूसरे पर निशाना साध रहे हैं और सम्राट अशोक पर विवादित बयान देना वाले नाटककार दया प्रकाश सिन्हा पर कोई कार्रवाई नही हो रही हैं. जेडीयू लगातार नाटककार दया प्रकाश सिन्हा को दिए गए साहित्य अकादमी पुरस्कार के अलावा जितने भी पुरस्कार केंद्र सरकार की तरफ से दी गई है, उसे वापस लेने की मांग पर अड़ी हुई है. तो दूसरी तरफ बीजेपी दया प्रकाश सिन्हा पर सिर्फ एफआईआर करा कर डैमेज कंट्रोल में जुटी है.
जिस सम्राट अशोक पर नाटक के लिए 2021 में साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया. उसी सम्राट अशोक की तुलना उन्होंने मुगल शासक और जेब से कर दी. यही नहीं उन्होंने सम्राट अशोक को क्रूर कामूक और बदसूरत चेहरे वाला बताया है. इस बात को लेकर जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह ने पुरस्कार वापसी की मांग की थी. पार्टी के प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि यह विडंबना है कि जिस सम्राट अशोक के लिए वो व्यक्ति पुरस्कार पाता है. उसी पर अभद्र टिप्पणी करता है और केन्द्र की कला एवं संस्कृति मंत्रालय उससे पुरस्कार वापस नहीं ले पा रहा हैं.
दया प्रकाश सिन्हा पर जो जानकारी विकिपीडिया में मिली उसके आधार पर यह माना गया है कि वो रिटार्यड आईएएस अधिकारी है. बीजेपी के कल्चर सेल के संयोजक है साथ ही उन्होंने इंडियन काउंसिल फार कल्चरल रिलेशन का उपाध्यक्ष भी अपने को बताया है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जयसवाल ने इसी विकिपिडिया के आधार पर दया प्रकाश सिन्हा पर पटना के कोतवाली थाने में एफआईआर दर्ज कराया है कि उन्होंने मिस लीड किया है और वो बीजेपी से जुड़े हुए नहीं है. उन्होंने झूठी जानकारी दी है.
संजय जयसवाल ने अपने शिकायत पत्र में लिखा है कि सम्राट अशोक पर की गई उनकी टिप्पणी से समाज का एक वर्ग आहत हुआ है. इसलिए उन पर साईबर क्राईम के अलावे अन्य मामलों में एफआईआर दर्ज किया जाए. जेडीयू ने संजय जयसवाल के एफआईआर को आईवास करार दिया है. पार्टी के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि आई वाश मत कीजिए संजय, जले पर नमक मत छिड़किए.
सीधे-सीधे अवार्ड वापसी की मांग का समर्थन कीजिए. वरना ऐसे दिखावटी मुकदमे का अर्थ लोग खूब समझते हैं. दूसरी तरफ इसी का जवाब देते हए बीजेपी नेता और मंत्री सम्राट चौधरी ने लिखा है कि बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष ने एफआईआर दर्ज कर ऐतिहासिक काम किया है लेकिन कुछ राजनीतिक दल के नेता विवादास्पद लेख पर राजनीति चमकाने पर लगे है.
उन्होंने आगे लिखा है कि जो ज्ञानी होता है उसे समझाया जा सकता है जो अज्ञानी होता है उसे भी समझाया जा सकता हैं परंतु जो अभिमानी होता है उसे कोई नही समझा सकता है उसे वक्त समझाता है. एनडीए गठबंधन दल में इस मुद्दे को लेकर जिस प्रकार की बयानबाजी चल रही है उससे तो यही लगता है कि बीजेपी और जेडीयू के बीच उभर रहे मतभेद में यह मुद्दा कही घी का काम न कर दें.