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बिहार: भागवत कथा कहते-कहते रो देते हैं पूर्व DGP गुप्तेश्वर पांडेय, राजनीति से मोहभंग

गुप्तेश्वर पांडेय अब तनावरहित जीवन जी रहे हैं. उनका मानना है कि रजोगुण वाले चाहे कितने भी शक्तिशाली हों. प्रधानमंत्री हो या सम्राट, सभी तनाव में जीते हैं. जहां संघर्ष है प्रतिस्पर्धा है वहां तनाव होगा ही इसलिए मुझे कुछ नहीं चाहिए.

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कथा सुनाते पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय (फोटो-ITGD)
कथा सुनाते पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय (फोटो-ITGD)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • कथावाचन के लिए पैसे नहीं लेते गुप्तेश्वर पांडेय
  • 2022 तक कथावाचन के लिए बुक हैं पूर्व DGP
  • 'आज मैं सतो गुण में, मेरी अब कोई इच्छा नहीं'

बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय का अब राजनीति से कोई लेना देना नहीं रह गया है. कथावाचक बनकर पहली बार बिहार आए गुप्तेश्वर पांडेय आजकल हरिहरनाथ मंदिर सोनपुर में भागवत कथा सुना रहे हैं. पिछले साल इसी समय उन्होंने राजनीति में जाने के लिए अपने रिटायरमेंट से 5 महीने पहले ही वीआरएस ले लिया था.

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राजनीति में तो गुप्तेश्वर पांडेय नहीं जा पाए, लेकिन कथावाचक के रूप में अपने को इतने कम समय में जरूर स्थापित कर लिया है.

गुप्तेश्वर पांडेय, भगवान हरिहरनाथ यानी ठाकुर जी को कथा सुनने आए हैं. कथा सुनाते सुनाते वो भाव विभोर भी हो जाते हैं. इतने वर्षों तक पुलिस अधिकारी रहे गुप्तेश्वर पांडेय के इस रुप को देखने वाले विश्वास नहीं कर पाए.

हरिहरनाथ मंदिर से विशेष लगाव
 

गुप्तेश्वर पांडेय का हरिहरनाथ मंदिर से विशेष लगाव है. इसलिए वो बिहार में पहली बार, हरिहरनाथ मंदिर में कथा वाचन के लिए आए. उन्होंने कहा कि ये कथावाचन उनकी ठाकुर जी के प्रति भक्ति और अपने ह्रदय की शुद्धि के लिए है. इसलिए इसका कोई प्रचार प्रसार नहीं किया गया है.

उन्होंने कहा, 'वीआरएस लेकर राजनीति में आने के समय मैं रजोगुण के उत्कृष्ट स्तर पर था. लेकिन आज स्थिति अलग है. आज मेरा रजोगुण दब गया है. रुचि खत्म हो गई. आज मैं सतो गुण में हूं. इसलिए मेरी अब कोई इच्छा नहीं है.'

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गुप्तेश्वर पांडेय 35 वर्षों तक पुलिस सेवा में रहे. एसपी फिर डीआईजी फिर आईजी और उसके बाद डीजीपी रूप में उन्होंने विभाग को अपनी सेवा दी. लेकिन उनका कहना है कि वो कहीं भी असफल नहीं रहे. उन्होंने ये भी कहा कि इस सड़ी गली व्यवस्था में जो भी संभव था वो मैंने किया.

'राजनीति में जाना ठाकुरजी को मंजूर नहीं'

गुप्तेश्वर पांडेय ने 2 बार राजनीति में जाने का प्रयास किया था. एक बार 2009 में और दूसरी बार 2020 में, लेकिन दोनों बार असफल रहे. गुप्तेश्वर पांडेय ने कहा, 'उस समय मैं अपने ऐश्वर्य को बढ़ाना चाहता था, लेकिन ठाकुरजी को मंजूर नहीं था. ठाकुरजी का निर्देश था कि मेरी शरण में आओ... मैं आ गया. अब मेरे अंदर कोई तनाव नहीं है. कोई फ्रस्टेशन नहीं है. कोई अफसोस नहीं है. किसी से कोई गिला नहीं कोई शिकवा नहीं. किसी को मुझ से डरने की जरूरत नहीं. मैं आनंद में हूं. कोई मेरा शत्रु नहीं है अब और मित्र भी बनकर क्या करेगा क्योंकि मैं किसी काम का नहीं मैं सिर्फ ठाकुर जी का हूं.'

पिछले साल 27 सितंबर को गुप्तेश्वर पांडेय बिहार के डीजीपी जैसे महत्वपूर्ण पद से वीआरएस लेकर जेडीयू में शामिल हुए. खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उन्हें शामिल कराया था, लेकिन अंत में उन्हें टिकट नहीं मिला.

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गुप्तेश्वर पांडेय ने कहा, 'अब मेरी कोई इच्छा नहीं रही. मैं अब तक किसी अधिकारी या किसी दल के नेता को फोन नहीं किया. मुझे याद नहीं कि मैं कभी प्रशासन में था.'

गुप्तेश्वर पांडेय को भले ही ये याद नहीं की वो कभी बिहार के चर्चित पुलिस अधिकारी रहे हों लेकिन अपने प्रवचन में वो पुलिसिया टर्म का खूब इस्तेमाल भी करते हैं. आईपीसी की धाराओं के उल्लेख करना नहीं भूलते. भागवत कथा कहने के दौरान उस समय हुए अपराध को वो इन्हीं धाराओं से जोड़ते हैं ताकि लोग आसानी से समझ जाएं.

गुप्तेश्वर पांडेय अब तनावरहित जीवन जी रहे हैं. उनका मानना है कि रजोगुण वाले चाहे कितने भी शक्तिशाली हों प्रधानमंत्री हो या विश्व के सम्राट सभी तनाव में जीते हैं. गुप्तेश्वर का कहना है कि जहां संघर्ष है प्रतिस्पर्धा है वहां तनाव होगा ही इसलिए मुझे कुछ नहीं चाहिए.

अब अखबार या टीवी नहीं देखते

गुप्तेश्वर पांडेय अब बिहार में नहीं रहते यदा कदा ही उनका यहां आना होता है. इसलिए उन्हें बिहार में क्या हो रहा इसकी जानकारी भी नहीं रहती. वो न तो अब अखबार पढ़ते हैं और ना टीवी देखते हैं. इसलिए उन्हें न राजनीति के बारे पता है और ना ही बिहार की कानून व्यवस्था के बारे में जानकारी है.

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गुप्तेश्वर पांडेय ने राजनीति में आने के सवाल पर स्पष्ट रूप से कहा कि हरि शरणम हरि शरणम. उन्होंने कहा, 'मैं राजनीति के लायक नहीं हूं. राजनीति में जिन योग्यताओं की जरूरत है उनमें से कोई योग्यता मेरे पास नहीं है. उसमें बहुत धीरज और बुद्धि की जरूरत है जो मेरे पास नहीं है. नेताओं का काम बहुत कठिन है. जनता की गाली सुननी है. सभी नेता महान हैं जो इतने कठिन काम करते हैं. बहुत अच्छा है कि हम राजनीति में नहीं गए.'

गुप्तेश्वर पांडेय इसी साल जुलाई से कथावाचन कर रहे हैं. अयोध्या में कथावाचन की ट्रेनिंग हुई. लेकिन पहली बार उन्होंने कथावाचन औपचारिक रुप से वृंदावन में किया. और दूसरा हरिहरनाथ मंदिर सोनपुर में कर रहे हैं. 2022 तक गुप्तेश्वर पांडेय तक के लिए बुक हैं. उन्हें देश के कई हिस्सों से कथावाचन के लिए बुलावा आया है और उन्हें इंग्लैंड, अमेरिका, सिंगापुर और ऑस्ट्रेलिया भी कथावाचन के लिए जाना है. गुप्तेश्वर पांडेय कथावाचन के लिए पैसे नहीं लेते.

 

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