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ऑपरेशन निल बटे सन्नाटा: पार्लर संचालिका, प्राइमरी टीचरों-छात्रों ने जांचीं 12वीं की कॉपियां

वैशाली महिला कॉलेज के प्रिंसिपल और इवेल्युएशन डायरेक्टर डॉ. नारायण दास ने भी दबाव में कॉपियां जांचने की बात कबूल की, साथ में ये खुलासा भी किया कि कैसे छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया गया.

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आजतक का स्टिंग ऑपरेशन
आजतक का स्टिंग ऑपरेशन

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क्या बोर्ड की कॉपियां कोई ब्यूटी पार्लर चलाने वाली महिला जांच सकती है? क्या प्राइमरी और मिडिल स्कूल के टीचर 12वीं बोर्ड की कॉपियां जांच सकते हैं? क्या गुरुजी की जगह, उनके चेले बोर्ड की कॉपियां जांच सकते हैं? आपको ये सवाल वाहियात लग रहे होंगे, लेकिन बिहार बोर्ड की 12वीं की परीक्षा में ये सब हुआ है. हैरत में डाल देने वाला ये खुलासा हुआ आजतक के स्टिंग ऑपरेशन में. स्टिंग में जो चेहरे कैमरे में कैद हुए उन्होंने बोर्ड की पूरी कलंक कथा खोलकर सामने रख दी.

एमडीडीएम कॉलेज मुजफ्फरपुर की प्रिंसिपल और इवेल्युएशन डायरेक्टर ममता रानी ने कहा कि जिन परिस्थितियों में कॉपी दिखवाई गईं वो भी ऐसे रिजल्ट के लिए जिम्मेदार हैं. हमारे आधे से अधिक शिक्षक हड़ताल पर थे. तो जिसकी क्षमता 30 की थी वो 60 कॉपी देख रहा है तो गलतियां स्वाभाविक हैं. पिछले कांड के बाद परीक्षक भी बड़ा डर-डर के कॉपी देखे हैं उनको पता था कि वो ज्यादा नंबर देंगे तो कॉपी रिचेक करवा सकते हैं. रिचेकिंग हो गया तो हम पर कार्रवाई हो जाएगी इसलिए परीक्षक ज्यादा नंबर देने का सोच ही नहीं रहे हैं. उनकी मंशा ये हो गई है कि हमको कम ही मार्क्स देना है.

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वैशाली महिला कॉलेज के प्रिंसिपल और इवेल्युएशन डायरेक्टर डॉ. नारायण दास ने भी दबाव में कॉपियां जांचने की बात कबूल की, साथ में ये खुलासा भी किया कि कैसे छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया गया. डॉ दास ने हमारे सामने एक और चौंकाने वाला खुलासा किया कि जिन छात्रों को 10 में से 10 मिलना चाहिए उसमें अगर जीरो मिला हुआ है तो वो ठीक नहीं हो सकता क्योंकि अब सिर्फ रिटोटलिंग हो सकती है, रिचेकिंग नहीं.

इस पूरी तहकीकात में ललिता चौधरी भी मिलीं. कागज पर वो वैशाली केंद्रीय इंटर कॉलेज की टीचर हैं, लेकिन इनका असली काम है ब्यूटी पॉर्लर चलाना. जी हां, मैडम ब्यूटी पार्लर चलाती हैं, जो उससे वक्त बचा तो बिहार के बच्चों की तकदीर लिखती हैं. ललिता चौधरी ने खुद कबूल किया कि इन्होंने कक्षा का कभी मुंह नहीं देखा, लेकिन हिंदी की रोजाना 50 कॉपियां जांचीं.

तहकीकात में हमारी टीम की मुलाकात हुई जगन्नाथ मिश्रा कॉलेज मुजफ्फरनगर के प्रोफेसर प्रेम कुमार से. प्रेम कुमार कॉलेज में फ़िज़िक्स पढ़ाते हैं और साथ में हाजीपुर में अपनी कोचिंग भी चलाते हैं. प्रोफेसर साहब तो और भी बड़े तीरंदाज निकले. इन्होंने लंगट सिंह कॉलेज मुजफ्फरपुर में फ़िज़िक्स की कॉपी जांची हैं और रिकार्ड कायम करते हुए 12 दिन में 900 कॉपियां जांच डालीं.

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तहकीकात की अगली कड़ी में हमारी खुफिया टीम की मुलाकात हुई एसपीएस कॉलेज वैशाली के प्रोफेसर धोनीलाल से. प्रोफेसर धोनीलाल ने भी हमारी टीम के सामने कबूल किया कि बारहवीं बोर्ड की 40 फीसदी कॉपियां मिडिल स्कूल के अध्यापकों ने जांची हैं यहां तक कि प्रोफेसर धोनी लाल ने जिन बच्चों को पढ़ाया था, स्कूल में उन्हें वो 12वीं की कॉपियां जांचते मिले थे. यानी गुरुजी के साथ साथ चेले भी कॉपी जांच रहे थे.

इसी तरह सुबोध कुमार सिन्हा जमुनी लाल कॉलेज, हाजीपुर में पॉलिटिकल साइंस के हेड एक्जामिनर थे. उन्होंने तो ये खुलासा करके चौंका दिया कि 12वीं की कॉपियां मिडिल वालों ने ही नहीं, प्राइमरी स्कूल वालों ने भी जांची थीं. यहां तक कि पॉलिटिकल साइंस के टीचर से हिन्दी तक की कॉपियां जांचने का दबाव बनाया गया. रामचंद्र चौधरी ने हमारे खुफिया कैमरे पर खुलासा किया कि मिडिल स्कूल के अध्यापक किस तरह कॉपियां चेक कर रहे थे.

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