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पटना का दियारा गांवः 'भूमिहीन' हो गए किसान, नहीं मिल पाई PM सम्मान निधि की एक भी किश्त

गांववालों का कहना है 2014 में राज्य सरकार ने इलाके की जमीन को अनसर्वेड घोषित कर दिया. इसके बाद से यहां रसीद कटनी बंद हो गई. इसके बाद यहां के किसानों को कृषि योजनाओं का लाभ भी मिलना बंद हो गया. 

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गांव रामनगर दियारा के किसान
गांव रामनगर दियारा के किसान
स्टोरी हाइलाइट्स
  • किसानों के पास रिकॉर्ड में नहीं है खेती 
  • अनसर्वेड घोषित है इस गांव की जमीन 
  • पटना के गांव रामनगर दियारा का मामला

केंद्र और राज्य सरकारें किसानों की हितैषी होने का दम भरती हैं. केंद्र और राज्य सरकारें किसानों के लिए कई योजनाएं भी चला रही हैं. प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत केंद्र सरकार हर किसान को 6000 रुपये प्रति वर्ष दे रही है लेकिन लेकिन पटना जिले का एक गांव है रामनगर दियारा, जहां के लोग सरकार की किसी भी योजना से महरूम हैं, क्योंकि इस गांव के किसान रेकॉर्ड में भूमिहीन हो गए हैं.  

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रामनगर दियारा के लोगों के पास जमीन है, उस पर वर्षों से खेती कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन और सरकार ये मानने को तैयार नहीं हैं कि यह जमीन उनकी है. ऐसे में उन्हें न तो राज्य और न ही केंद्र सरकार की किसी योजना का लाभ मिल रहा है. प्रशासन का कहना है कि यहां के किसानों से बात कर प्रशासन ने रिपोर्ट राज्य सरकार को भेज दी है. फिलहाल यहां पीएम किसान सम्मान निधि का मामला होल्ड पर है. 

पटना जिले के रामनगर दियारा गांव की आबादी करीब 8000 है. यह गांव बाढ़ अनुमंडल के अथमलगोला प्रखंड में आता है. यहां के अधिकांश लोग गंगा किनारे की जमीन पर खेतीबाड़ी करते हैं. कई दशकों से लोग यहां रह रहे हैं. गांव के लोग राजस्व विभाग से रसीद कटवाया करते थे. गांववालों का कहना है 2014 में राज्य सरकार ने इलाके की जमीन को अनसर्वेड घोषित कर दिया. इसके बाद से यहां रसीद कटनी बंद हो गई. इसके बाद यहां के किसानों को कृषि योजनाओं का लाभ भी मिलना बंद हो गया. 

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रामगर गांव के किसान अपना दर्द बयां करते हुए बताते हैं कि वो न तो यहां जमीन खरीद सकते हैं न बेच सकते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2018 में किसान सम्मान निधि का एलान किया, बिहार के किसानों को इसका लाभ भी मिल रहा है लेकिन रामनगर दियारा के लोग इससे महरूम हैं. आज तक किसी भी किसान को एक भी किश्त नहीं मिली. गांव के किसान कहते हैं कि सर्वे कराना सरकार का काम है लेकिन हमारी सुनवाई नहीं हो रही है.

Farmer

 

रामनगर दियारा गांव के किसान राजन सिंह दावा करते हैं कि लोग यहां 500 साल से रह रहे हैं. चाहे अंग्रेजों का जमाना हो या जमींदारों का यहां के लोग राजस्व जमा करते थे. लेकिन एक बार दो भाइयों के बीच झगड़ा हुआ. दोनों भाई कागज प्रस्तुत नहीं कर पाए. इसके बाद यहां के लोगों पर मुश्किलों का पहाड़ टूट पड़ा. सरकार ने यहां की जमीन को अनसर्वेड घोषित कर दिया. यानी इस जमीन का सर्वे नहीं हुआ है. अब यहां के लोग जमीन की खरीद बिक्री नहीं कर सकते. खेत गिरवी नहीं रख सकते. किसी की बीमारी में भी जमीन से कोई मदद नहीं मिल पाती.  

एक दूसरे किसान त्रिवेणी सिंह बताते हैं कि डीएम का आदेश हुआ है कि यहां की जमीन बिहार सरकार की है. लोग सैकड़ों साल से यहां रह रहे हैं. उसका रेवेन्यू भी दिया गया है लेकिन अब मुश्किल खड़ी हो गई है. गांव में किसी को किसान सम्मान निधि का एक भी पैसा नहीं मिल रहा है.  

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इस बारे में अथमलगोला प्रखंड बाढ़ के अंचल अधिकारी पंकज कुमार कहते हैं कि रामनगर दियारा की जमीन अनसर्वेड है. इसका मतलब असर्वेक्षित होता है. फिलहाल जमीन की स्थिति सरकारी भूमि की है. जब प्रधानमंत्री सम्मान निधि की शुरूआत हुई तो रामनगर दियारा के बारे में कृषि विभाग से पूछा गया कि यहां के लोगों को सम्मान निधि का लाभ देना है या नहीं. चूंकि यहां के किसानों के पास 14 की रसीद है और इस योजना में अपडेट रसीद चाहिए इसलिए कृषि विभाग ने कहा कि इसे होल्ड कर दिया जाए. इसे अस्वीकृत नहीं किया गया है बल्कि इसे होल्ड रखा गया है. 

वहीं बाढ़ के अनुमंडल अधिकारी सुमित कुमार कहते हैं कि जिनके पास जमीन के दस्तावेज हैं उन्हें योजना का लाभ जरूर मिलेगा. लेकिन दियारा ऐसा इलाका है जहां जमीन का मामला अनसर्वेड है. इस मामले में जिला प्रशासन ने एक टीम का गठन किया था. लॉकडाउन से पहले ही टीम ने किसानों से बात कर रिपोर्ट जिला प्रशासन को सौंप दी. जिला प्रशासन ने सरकार के पास इसे भेज भी दिया है. 

फिलहाल मामला लालफीताशाही में फंस गया है. किसान कहते हैं कि जो कुछ प्रशासन या सरकार कर रही है उसमें उन लोगों की कोई गलती नहीं है. ऐसे में यहां के लोगों को जमीन का हक मिलना चाहिए.

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(रिपोर्ट-धर्मेंद्र)

 

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