आम आदमी पार्टी को कांग्रेस का फिर सहारा मिल सकता है लेकिन इस बार अनधिकृत रूप से. समझा जाता है कि पार्टी के तीन विधायकों ने पार्टी से कहा है कि वह आम आदमी पार्टी को समर्थन देने के बारे में फिर से विचार करे. ये तीनों विधायक चुनाव लड़ने के पक्ष में नहीं हैं. यह खबर अंग्रेजी अखबार 'हिन्दुस्तान टाइम्स' ने दी है.
बीजेपी ने दिल्ली में लोकसभा की सभी सातों सीटें जीत ली हैं और अब वह विधानसभा चुनाव के लिए कमर कस रही है. पार्टी के नेताओं ने संकेत दिया है कि वे राजधानी में शीघ्र चुनाव करवाना चाहते हैं. ध्यान रहे कि लोकसभा चुनाव में पार्टी ने 70 विधानसभा क्षेत्रों में से 60 क्षेत्रों में जीत दर्ज की है. 10 सीटों पर आम आदमी पार्टी की जीत हुई है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आम आदमी पार्टी ने कितना जनाधार खो दिया है.
कांग्रेस को तो एक भी विधानसभा सीट पर बढ़त हासिल नहीं हुई. इन तीन कांग्रेसी विधायकों में से एक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अगर अगले तीन या चार महीनों में विधानसभा के चुनाव हुए तो कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो जाएगा और वह एक या दो सीटों पर सिमट जाएगी. उस विधायक ने कहा कि कांग्रेस का जनाधार और वोट शेयर लगातार घटता जा रहा है. ऐसे में हमें लगता है कि आम आदमी पार्टी को समर्थन देने में फायदा है.
कांग्रेस के आठ विधायकों में से चार मुस्लिम हैं, दो सिख, एक पिछड़ा और एक दलित है. पिछले चुनाव में मुस्लिम और दलित वोटरों ने बड़े पैमाने पर आम आदमी पार्टी का साथ दिया है. इस बार लोकसभा चुनाव में बीजेपी को कांग्रेस और आम आदमी पार्टी को मुस्लिम बहुल इलाकों जैसे बल्ली मारान और चांदनी चौक में ज्यादा वोट मिले हैं.
आम आदमी पार्टी को ओखला तथा सीलमपुर में ज्यादा वोट मिले. आम आदमी पार्टी ने साफ कर दिया है कि वह दिल्ली में फिर से चुनाव चाहती है और कांग्रेस के समर्थन से सरकार नहीं बनाएगी.